लीला - एक जुनून का रास्ता
कृष्ण के सम्पूर्ण जीवन में, उनके मित्रों, रिश्तेदारों और अन्य सभी लोगों से संबंधों को एक ख़ास नाम से जाना जाता है - वह नाम है लीला। कृष्ण की लीलाओं में उनके आस-पास मौजूद सभी लोग शामिल हैं। इन लोगों में ऐसा क्या खास है, जो इन्हें कृष्ण की लीलाओं का एक हिस्सा बनाता है? क्या कृष्ण के जीवन-प्रसंगो से प्रेरणा ले कर हम अपना जीवन भी लीला-मय बना सकते हैं?
कृष्ण के सम्पूर्ण जीवन में, उनके मित्रों, रिश्तेदारों और अन्य सभी लोगों से संबंधों को एक ख़ास नाम से जाना जाता है - वह नाम है लीला। कृष्ण की लीलाओं में उनके आस-पास मौजूद सभी लोग शामिल हैं। इन लोगों में ऐसा क्या खास है, जो इन्हें कृष्ण की लीलाओं का एक हिस्सा बनाता है? क्या कृष्ण के जीवन-प्रसंगो से प्रेरणा ले कर हम अपना जीवन भी लीला-मय बना सकते हैं?
कभी आपने सोचा है कि जीवन के गंभीर पहलुओं से दुनिया के ज्यादातर लोग आज तक अछूते क्यों हैं? क्योंकि वे रसिया नहीं हैं; उन्हें क्रीड़ापूर्ण ढंग से जीना नहीं आता, वे मस्ती का अनुभव नहीं कर पाते।
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भीम कृष्ण के भक्त थे। जालंधरा नाम की एक युवती कृष्ण से गोपनीय तरीके से मिलना चाहती थी। उसे लगा की भीम उसे कृष्ण से मिलवा सकते हैं। एक बार रात के अंधेरे में चुपचाप वह भीम के पास आई। भीम को लगा की वह उनसे मिलने आई है। उन्होंने सोचा, चलो अच्छा है। इस महिला से मिलना अच्छा अनुभव होगा। भीम मन ही मन खुश हो रहे थे, तभी उसने भीम से कहा के उसे कृष्ण से मिलना है। भीम निराश हो गए और कहने लगे - "अगर तुम्हे कृष्ण से ही मिलना था तो तुमने इतनी रात को मुझे यहां अकेले में क्यों बुलाया? जाओ और उनसे मिल लो। वह तो सुबह से शाम तक लोगों से मिलते रहते हैं। वह सभी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों से मिलने और उनसे प्रेम करने को आतुर हैं। तुम जानती ही हो उनके पास तमाम औरतें आती हैं, और पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगती हैं। क्या तुम्हे भी पुत्र चाहिए? जाओ और उनसे मिलो। तुम मेरे साथ यहां भला क्या कर रही हो!"
जिस रसिक और क्रीड़ापूर्ण व मजाकिया अंदाज की बात हमने अभी की है, वह यही है। इन लोगों का कृष्ण के प्रति बहुत ज्यादा झुकाव और समर्पण था। लेकिन कृष्ण के बारे में बात करने का उनका तरीका ऐसा ही था - बेहद मजाकिया और रस से भरा।
यदि हम सब कुछ बेहद हल्के-फुल्के अंदाज में बेहद मजाकिया तरीके से कर रहे हैं, तब भी कुछ लोग बीच में ही अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं। एक बार तीन दोस्त भालू का शिकार करने निकले। इनमें एक फ्रांस का था, दूसरा अंग्रेज था और तीसरा इटली का था। फ्रांस के व्यक्ति ने अपनी राइफल उठाई और निकल पड़ा। थोड़ी देर में वह एक भालू को मारकर अपने केबिन के अंदर खींचता हुआ लाया। उसका इंतज़ार कर रहे उसके दोस्तों ने पूछा - 'तुम्हें गए हुए बस दस मिनट ही हुए हैं, और तुम एक भालू को मारकर ले आये। तुमने यह सब किया कैसे ?' फ्रांस के इस व्यक्ति ने बताया - 'जैसे ही मैं बाहर निकला, मुझे रेल का एक ट्रैक दिखाई दिया। मैं उस पर चलने लगा। अचानक मुझे एक भालू दिखाई दिया। मैंने तुरंत गोली चला दी और भालू को मारकर ले आया।' अंग्रेज यह सुनकर उत्साहित हुआ। उसने भी राइफल उठाई और निकल पड़ा। 10 मिनट में वह भी एक भालू को मारकर ले आया। बाकी दोनों दोस्तों ने उससे पुछा - 'अरे, तुम भी एक भालू को मारकर ले आये? तुमने क्या किया?' अंग्रेज कहने लगा - 'बस, मैंने भी एक ट्रैक देखा, और में उस पर चलने लगा। मुझे भी अचानक एक भालू दिखाई दिया और मैंने उसे गोली मार दी।' इटली का व्यक्ति बड़े ध्यान से पूरी बात सुन रहा था। पूरी कहानी से प्रेरित हो कर वह भी निकल पड़ा। थोड़ी देर बाद एक अजीब सा नज़ारा देखने को मिला। इटली का वह व्यक्ति घायल अवस्था में केबिन में लौट रहा है। पूछने पर उसने बताया –'मुझे भी एक ट्रैक दिखाई दिया। मैंने भी उस पर चलना शुरू कर दिया। अचानक एक ट्रैन आई और मुझे टक्कर मार दी।'
आगे जारी...