हमारी पंचतत्वों की ब्लॉग श्रृंखला में आइये आज पढ़ते हैं वायु के बारे में।

सद्गुरु

पंचतत्वों में वायु का स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर क्षण हम सांसों के माध्यम से वायु से जुड़े हुए हैं। ऐसे में हम वायु को अपने लिए फायदेमंद कैसे बना सकते हैं?

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हमारे शरीर में लगभग छह प्रतिशत वायु है। इसमें से केवल एक प्रतिशत या कुछ कम आपकी सांस है। बाकी दूसरे तरीकों से आपके शरीर में मौजूद है।

परदे पर होने वाले आवाजों से, उनसे पैदा होने वाली दर्शकों की भावनाओं और लोगों के दिमाग पर हो रहे इनके असर से उस हॉल की सीमित हवा बहुत प्रभावित हो जाती है
केवल सांस में आने-जाने वाली हवा ही आप पर असर नहीं डालती है, आप अपने अंदर हवा किस तरह से रखते हैं, इससे भी फर्क पड़ता है। आपको उस एक प्रतिशत का ख्याल तो रखना ही चाहिए, लेकिन अगर आप शहर में रहते हैं, तो हो सकता है यह आपके हाथ में न हो कि किस तरह की हवा में आप सांस लें। इसलिए आप किसी पार्क में या किसी झील के किनारे टहलने के लिए जाया करें।

खास कर अगर आपके बच्चे हैं, तो यह जरूरी है कि आप कम से कम महीने में एक बार उन्हें बाहर ले जाएं - सिनेमा या कोई वैसी जगह नहीं, क्योंकि परदे पर होने वाले आवाजों से, उनसे पैदा होने वाली दर्शकों की भावनाओं और लोगों के दिमाग पर हो रहे इनके असर से उस हॉल की सीमित हवा बहुत प्रभावित हो जाती है। सिनेमा ले जाने के बजाय आप उन्हें नदी के किनारे ले जाएं, उन्हें तैरना सिखाएं या पहाड़ पर चढऩा सिखाएं। इसके लिए आपको हिमालय तक जाने की जरूरत नहीं है। एक बच्चे के लिए एक छोटी सी पहाड़ी भी बड़े पहाड़ के बराबर है। एक बड़ी चट्टान से भी काम चल जाएगा। आप उस पर चढ़ें और ऊपर जा कर बैठें। बच्चों को इसमें बहुत मजा आएगा और उनकी सेहत बनेगी। आपकी सेहत भी अच्छी हो जाएगी, साथ ही आपका शरीर और दिमाग अलग तरह से काम करने लगेगा। और सबसे बड़ी बात यह होगी कि इस तरह आप सृष्टि के संपर्क में होंगे, जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है।