सद्‌गुरुक्या आसनों का अभ्यास हमारे कर्मों को तोड़ सकता है? आइये जानते हैं कि हठ योग एक तरीका है, अपने उन कर्मों को तोड़ने का जो हमारे अंदर बाध्यताएं और मजबूरियाँ पैदा करते हैं...


जिज्ञासु : क्या ध्यान और हठ योग में कोई संबंध है? आपने कहा कि हठ योग अपने आप में एक रास्ता है। क्या आप इस बारे में विस्तार से बता सकते हैं?

सद्‌गुरु : हठ योग के कई आयाम हैं। इसका एक मूलभूत पहलू है, शरीर को गूंथना। जब आप रोटी या चपाती बनाते हैं, तो अच्छी रोटी बनने के लिए यह जरूरी है कि आप आटे को खूब अच्छी तरह गूंथें। इसी तरह, आपके ध्यान की गुणवत्ता इस पर निर्भर करती है कि आप कितनी अच्छी तरह गुंथे हुए हैं। ऐसा सिर्फ हठ योग या आसनों के जरिये ही नहीं, बल्कि खुद जीवन के द्वारा।

जिसे आप कर्म कहते हैं, वह शरीर की हर कोशिका और आपकी ऊर्जा के हर पहलू में जड़ा हुआ है।
जीवन आपको कई रूपों में गूंथ रहा है। आप या तो उसका आनंद उठा सकते हैं या दुखी हो सकते हैं। आप उससे और समझदार होकर खिल सकते हैं या इस प्रक्रिया से कुचले जा सकते हैं। आप इन दोनों में से किसी को भी चुन सकते हैं।

हठ योग एक तरह से गूंथने की प्रक्रिया है, यह सिर्फ मांसपेशियों को नहीं बल्कि आपके हर पहलू को गूंथता है। जिसे आप कर्म कहते हैं, वह शरीर की हर कोशिका और आपकी ऊर्जा के हर पहलू में जड़ा हुआ है। जब एक ही प्रक्रिया या क्रियाकलाप में अलग-अलग लोगों की ऊर्जा अलग तरह से बर्ताव करती है, तो यह स्पष्ट हो जाता है। यह इस पर निर्भर करता है कि उनकी ऊर्जा प्रणाली में किस तरह की याददाश्त है। गूंथने का मतलब है, आपकी प्रणाली को इतना नरम और लचीला बनाने की कोशिश करना कि उसमें आपको प्रभावित करने की क्षमता न रहे। आप शरीर के जरिये अपने जीवन को अपने काबू में ले रहे हैं।

हठ योग : शरीर के जरिये परम मुक्ति

अपने जीवन को अपने नियंत्रण में लेने के अलग-अलग तरीके हैं, एक तरीका शरीर के जरिये है। शारीरिक रूप से यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, मगर यह एक पक्का रास्ता है क्योंकि आपको तुरंत पता चल जाता है कि क्या कारगर है और क्या नहीं।

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आप कर्म के बाध्यकारी चक्रों से परे जाने की कोशिश करते हैं। सिर्फ अपने शरीर के जरिये सारी बाध्यताओं को तोड़ने में बहुत समय और मेहनत लग सकती है, मगर इसे करना बहुत शानदार होता है।
अगर आप मन के जरिये अपने जीवन पर काबू करने की कोशिश करते हैं, तो आपको पता नहीं चल पाता कि आप आगे जा रहे हैं या पीछे। आप नहीं जान पाते कि आप नरम बन रहे हैं या पपड़ीदार। आपको लग सकता है कि आप सही रास्ते पर जा रहे हैं, मगर आपके आस-पास के लोगों का कहना कुछ और हो सकता है।

शरीर कभी झूठ नहीं बोलता, यह इसकी एक अच्छी चीज है। मन हर समय आपको तरह तरह के झूठों में उलझाए रखता है। जिन लोगों को मन पर भरोसा नहीं है, वे शरीर से शुरुआत करते हैं। हठ योग एक बढ़िया रास्ता हो सकता है क्योंकि शरीर, मन, ऊर्जा और जीव अलग-अलग नहीं हैं। आप अलग-अलग रास्तों से एक ही जगह पहुंच सकते हैं। शारीरिक रास्ता एक पक्का रास्ता है, मगर यह लंबा है। यह कठिन भी नहीं है, बशर्ते आप हठ योग को बस कभी-कभार न करते हों। अगर आप इसे कभी-कभार करेंगे, तो झुकने में समस्या हो सकती है। अगर आप इसे रोजाना करेंगे, तो साधना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होगी।

हठ योग देता है लम्बा जीवन

हठ योग बस परम मुक्ति का एक और रास्ता है, मगर इसकी प्रकृति शारीरिक है। अगर आप अच्छी शारीरिक अवस्था में हैं, तो यह एक सहज और खूबसूरत तरीका है। अगर आपने आसन सिद्धि कर ली है, यानी आप किसी आसन को लंबे समय तक आराम से और स्थिर होकर धारण कर सकते हैं, तो आपके लिए ध्यान सहज होगा।

अगर आप सही तरह का हठ योग करते हैं, तो आपकी उम्र लंबी होगी क्योंकि आप अपनी प्रणाली में मृत्यु को उत्पन्न नहीं होने देते।
अगर आपको ध्यान करने में मुश्किल होती है, तो इसकी वजह यह है कि शरीर के कुछ हिस्से और मन के कुछ पहलू आपके साथ सहयोग नहीं करते, जो कि उन्हें करना चाहिए।

समस्या यह है कि आपने अपने शरीर और मन को तैयार नहीं किया है। फर्श पर बैठने में आपको महसूस होता है कि आपका शरीर किस स्थिति में है। हठ योग का अर्थ है कि आपके शरीर में सब कुछ सहज रूप में प्रवाहित हो रहा है। अगर आप सही तरह का हठ योग करते हैं, तो आपकी उम्र लंबी होगी क्योंकि आप अपनी प्रणाली में मृत्यु को उत्पन्न नहीं होने देते। वरना मृत्यु का बाद का कड़ापन धीरे-धीरे आपके अंदर समा रहा है - आपका शरीर धीरे-धीरे कड़ा हो रहा है।

हठ योग से आसन सिद्धि की अवस्था पा सकते हैं

हठ योग ध्यान को आनंद में बदल सकता है। इसी तरह, अगर आप अपने मन को किसी चीज पर एकाग्र रहने में तैयार करते हैं, तो ध्यान आपके लिए सहज हो जाएगा। अगर आपका शरीर और मन, दोनों अच्छी तरह तैयार और प्रशिक्षित हैं, तो ध्यान मुश्किल नहीं होगा। हठ योग से आप आसन सिद्धि पा सकते हैं। आसन सिद्धि पाने पर आपका शरीर स्थिर हो जाएगा।

स्थिरता कई अलग-अलग स्तरों पर होती है। अगर आप पूरी तरह स्थिर हो जाते हैं, तो आप बिना किसी प्रयास के ध्यान कर सकते हैं। आपको सिर्फ एक जगह बैठने और अपने मन को अपनी इच्छानुसार रखने का प्रयास करना पड़ता है।

हठ शब्द का एक और अर्थ है, अड़ियल होना या अड़ जाना। चाहे आपका शरीर, मन, भावनाएं या परिवार इसे पसंद करें या नहीं, आप सुबह उठकर अपना हठ योग करें।
अभी न तो आपका शरीर आपकी सुन रहा है, न आपका मन, वे इधर-उधर भटक रहे हैं। अगर मैं आपको यहां डेढ़ घंटे बिठा दूं, तो आपके पैर अपनी कहानी कहने लगेंगे। अगर मैं आपको दो घंटे से ज्यादा समय तक बिठा दूं, तो आपका ब्लेडर अपनी कहानी कहने लगेगा। आपको स्वर्ग या ज्ञान प्राप्ति की परवाह नहीं रह जाएगी, आप बस एक ही जगह जाना चाहेंगे। कुछ लोगों के लिए भोजन, कुछ के लिए सेक्सुअलिटी या कोई दूसरी शारीरिक बाध्यता उनके जीवन पर हावी होती है। एक बार इन बाध्यताओं के उभरने के बाद बाकी सब कुछ महत्वहीन हो जाता है। इसे ठीक करने के कई तरीके हैं।

हठ योग : हठी बनना होगा इसके लिए

एक बार, एक युवती सिनेमा देखने गई। फिल्म के दौरान वह बाथरूम गई। वापस आने पर उसने उस पंक्ति के आखिर में बैठे आदमी के कंधे पर थपथपाकर पूछा, ‘क्या जाते समय आपके पैरों पर मेरा पैर पड़ गया था?’ उसने कहा, ‘हां’।

अगर आपका शरीर और मन, दोनों अच्छी तरह तैयार और प्रशिक्षित हैं, तो ध्यान मुश्किल नहीं होगा। हठ योग से आप आसन सिद्धि पा सकते हैं।
उसे लगा कि वह माफी मांगना चाहती है। युवती बोली, ‘फिर यही मेरी रो है।’ लोग कई अलग-अलग तरीकों से बाध्यताओं या मजबूरियों को दर्शाते हैं। जब आपके पास शरीर होता है, तो उसकी कुछ बाध्यताएं होती हैं – आपको खाना, सोना, शौचालय जाना पड़ता है – मगर इन चीजों को आपके जीवन की दिशा नहीं तय करना चाहिए।

हठ शब्द का एक और अर्थ है, अड़ियल होना या अड़ जाना। चाहे आपका शरीर, मन, भावनाएं या परिवार इसे पसंद करें या नहीं, आप सुबह उठकर अपना हठ योग करें। भौतिक शरीर की बाध्यकारी प्रवृत्ति को तोड़ने के लिए एक खास अड़ियलपन की जरूरत होती है। शरीर लाखों सालों में विकसित हुआ है। इसकी अपनी प्रवृत्तियां, इरादे और बाध्यताएं होती हैं। यह आसानी से हार नहीं मानेगा।

हर बाध्यता को कमजोर करता है हठ योग

आश्रम में आम तौर पर दिन में दो बार भोजन मिलता है। सुबह दस बजे पहले और शाम को सात बजे दूसरे भोजन के बीच लोगों को भूख लग जाती है। वे आकर डिनर के लिए भिक्षा हॉल में बैठ जाते हैं। स्वयंसेवक भोजन परोसते हैं और भोजन के सामने आने पर, आप तुरंत उसे खाना चाहते हैं। मगर आपको हर किसी के सामने भोजन परोसे जाने का इंतजार करना पड़ता है, उसके बाद सभी लोग एक साथ मिलकर एक प्रार्थना या आह्वान करते हैं, जिसके बाद ही आप खा सकते हैं। यह सब हठ योग का एक हिस्सा है। आप न सिर्फ अपने शरीर को, बल्कि अपने मन को भी जागरूक रखने के बारे में दृढ होते हैं।

शारीरिक रास्ता एक पक्का रास्ता है, मगर यह लंबा है। यह कठिन भी नहीं है, बशर्ते आप हठ योग को बस कभी-कभार न करते हों।
शरीर की भौतिक जरूरतें मौजूद होती हैं, मगर आप धीरे-धीरे उनकी बाध्यताओं पर काबू पाते हैं। जब आपके शरीर में कोई बाध्यता नहीं होती और आप किसी निर्देश की आवश्यकता के बिना स्थिर होकर बैठ सकते हैं, तो आप ध्यान में हैं। आप कर्म के बाध्यकारी चक्रों से परे जाने की कोशिश करते हैं। सिर्फ अपने शरीर के जरिये सारी बाध्यताओं को तोड़ने में बहुत समय और मेहनत लग सकती है, मगर इसे करना बहुत शानदार होता है।

हठ योग का अर्थ सिर्फ शरीर को मोड़ना और मरोड़ना नहीं है। मुख्य रूप से इसका मतलब हमारे अंदर सभी बाध्यताओं को खत्म करने की दिशा में कोशिश करना है। इन बाध्यताओं को हमने विकास के लाखों सालों में जमा किया है। इंसानों और पशुओं को अलग करने वाली या दूसरे शब्दों में मनुष्य होने का सारतत्व है, बाध्यता से चेतनता की ओर जाने की संभावना। जब आप अपनी बाध्यता पर पूरी तरह काबू पा लेते हैं, तो आप एक पूर्ण विकसित मनुष्य बन जाते हैं। वरना आप मनुष्य नहीं होते, मनुष्य बनने की दिशा में अग्रसर होते हैं। इसे हम ‘प्रोजेक्ट ह्यूमन’ कह सकते हैं।