कुछ लोगों को धीमी रफ्तार पसंद है तो कुछ को तेज गति से चलना अच्छा लगता है। अब आपको क्या पसंद है उसी के अनुसार आप चुन सकते हैं अपनी आध्यात्मिकता का रास्ता। लेकिन कैसे?

सद्‌गुरुहर इंसान में कर्म का ढांचा मुख्य रूप से चक्रीय होता है। यह चक्र सिर्फ एक जीवनकाल से दूसरे जीवनकाल तक ही नहीं होता है। अगर आप काफी ध्यान से देखें, तो घटनाएं आम तौर पर सवा बारह से साढ़े बारह सालों के चक्रों में खुद को दोहराती हैं। अगर आप और भी ध्यान से देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि एक साल के भीतर भी एक ही पैटर्न कई बार देखने को मिलता है। अगर आप बहुत ज्यादा करीब से और ध्यानपूर्वक देखें, तो एक दिन के अंदर भी वही चक्र कई बार दोहराए जाते हैं।

इसलिए ज्यादातर लोगों के लिए बाकी के दो विकल्प बेहतर हैं। आप सही चीजें करें, अपने गुरु के लिए उपलब्ध रहें और आखिरी पल आने पर, वह आपका ख्याल रख लेंगे।
कर्म का चक्र असल में हर 40 मिनट पर खुद को दोहराता है। इन 40 मिनट के चक्रों को कन्नड़ में गलिगे कहते हैं। इसलिए आपके पास हर 40 मिनट में उसे तोड़ने का मौका होता है।

इसका ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप ध्यान देते हैं कि आपका जीवन सिर्फ एक पुनरावृत्ति है, एक मूर्खतापूर्ण चक्र है, कि आप हर 40 मिनट पर एक ही चक्र बार-बार दोहरा रहे हैं, तो आपको दो दिनों में पता चल जाएगा कि यह आपके लिए अच्छा नहीं है। लेकिन अगर इस चक्र पर आपका ध्यान बारह सालों में एक बार जाता है तो 12 से 24 साल लग जाएंगे आपको यह समझने में कि ये अच्छा नहीं है। और अगर इस चक्र पर आपका ध्यान पूरे जीवनकाल में सिर्फ एक बार जाता है, तो आपको उसकी व्यर्थता समझने में कुछ जीवनकाल लग जाएंगे।

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यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने चेतन हैं। आप जितने अधिक चेतन होते हैं, उतना ही आपको महसूस होता है कि एक अचेतन चक्र में जीना कोई अच्छी बात नहीं है। इसलिए आपके पास हर 40 मिनट पर इसके प्रति जागरूक होने और उस चक्र को तोड़ने का अवसर होता है। आप अपनी मौजूदा दीवारों को तोड़कर दूर जाना चाहते हैं।

आध्यात्मिक प्रक्रिया के तीन तरीके

आध्यात्मिक प्रक्रिया तक पहुंचने के तीन तरीके हैं। पहला तरीका है, कुछ जीवनकालों के दौरान सही चीजें करते हुए आप धीरे-धीरे वहां तक पहुंच सकते हैं। दूसरा तरीका है कि आप अपनी वर्तमान परिस्थितियों में बने रहें, अपनी ओर से बेहतरीन काम करें, खुद को खुला और केंद्रित रखें और खुद को उस प्रक्रिया के लिए उपलब्ध बनाएं। आपके जीवन के आखिरी पल में, हम ध्यान रखेंगे कि आपके साथ वह प्रक्रिया घटित हो।

एक और तरीका यह है कि आप इसी वक्त कुछ जानना चाहते हैं। आप अभी अपनी सीमाओं को तोड़ कर उन सीमाओं से परे जाना चाहते हैं। अगर ऐसा है तो आपको इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए, कि आपके आस-पास क्या घटित हो रहा है, क्योंकि बहुत सी चीजें होंगी, जिन्हें कोई स्वीकृति नहीं देगा। इन चीजों को समाज मंजूर नहीं करेगा, लोग स्वीकृति नहीं देंगे, आपका परिवार स्वीकृति नहीं देगा। वे आपसे सिर्फ इसलिए जुड़े थे क्योंकि आप एक विशेष तरह के इंसान थे। अगर आप दूसरी तरह के इंसान बन गए, तो फिर वे आपसे जुड़ नहीं पाएंगे।

जैसे, आपने किसी से शादी की। उन्होंने आपसे शादी इसलिए की क्योंकि आप एक विशेष तरह के इंसान थे। अगर आप किसी और तरह के इंसान बन गए, तो हो सकता है कि उस तरह का इंसान भी खूबसूरत हो मगर फिर भी वह एक अलग इंसान होगा। फिर आप अचानक उनके लिए अजनबी हो जाते हैं।

यह एक सरल चीज है, जिसे आप कर सकते हैं - किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करें, जिसे आप पसंद नहीं करते। उस इंसान के साथ बहुत प्यार से, खुशी से, समय बिताएं। इससे बहुत सारे बंधन टूट जाएँगे।
वे आपके साथ नहीं रह सकते, जब तक कि उनके अंदर आपको एक महान संभावना के रूप में देखने की समझ और विवेक न हो। ‘मेरा जीवनसाथी बहुत आगे बढ़ गया है। एक ऐसे इंसान के साथ होना बहुत अद्भुत बात है, जो मुझसे आगे हो।’ अगर आपके अंदर इतनी समझ है, तो अच्छी बात है, मगर इतनी समझ आने पर उस रिश्ते को रूपांतरित होना पड़ता है। वह रिश्ता पहले की तरह नहीं रह जाता। उसे कुछ और बनना होगा। एक बार जब आप समझ लेते हैं कि कोई आपसे काफी आगे निकल गया है, तो वह रिश्ता पति और पत्नी, मां और पुत्र, इसका और उसका नहीं रह जाता। वह कुछ और बन जाएगा। तो किसी न किसी रूप में, आपके लिए अहमियत रखने वाला वह रिश्ता टूट जाएगा। या तो वह भौतिक रूप से नष्ट हो जाएगा या एक ही स्थान पर रहते हुए भी आपका रिश्ता बदल जाएगा। दुनिया में कितने लोग इसके लिए तैयार हैं?

 2 तरीके ज्यादा सुलभ हैं

इसलिए ज्यादातर लोगों के लिए बाकी के दो विकल्प बेहतर हैं। आप सही चीजें करें, अपने गुरु के लिए उपलब्ध रहें और आखिरी पल आने पर, वह आपका ख्याल रख लेंगे। या अगर आप उपलब्ध नहीं होना चाहते, तो यह भी हो सकता है कि आप कुछ छोटी-छोटी चीजें करने के लिए तैयार हों। अपने आध्यात्मिक पोषण के लिए कुछ करते रहें, ताकि भविष्य में कुछ हो सके। वैसे मैं यह आपके लिए नहीं चाहता। आपको या तो अभी अपनी सीमाएं तोड़नी चाहिएं, या कम से कम मृत्यु के पल में ऐसा होना चाहिए। मैं एक धैर्यवान व्यक्ति नहीं हूं। मैंने कई जीवनकालों तक उतावलापन और अधीरता का अभ्यास किया है। लोग आम तौर पर मुझे एक काफी धैर्यवान व्यक्ति के रूप में देखते हैं क्योंकि मेरी स्वीकृति को धैर्य के रूप में देखा जाता है। मगर मैं ऐसा नहीं हूं। मैं सब कुछ तेज गति से होते हुए देखना चाहता हूं। मुझे धीमी रफ्तार पसंद नहीं है।

आपके और परम तत्व के बीच कोई पहाड़ नहीं खड़ा है। दोनों के बीच कुछ और नहीं, बल्कि खुद आप, आपकी अपनी मानसिक‍ संरचना है। अगर आपको उसे तोड़ना है, तो हमें कुछ उल्टी दिशा में कार्य करना होगा। यह एक सरल चीज है, जिसे आप कर सकते हैं - किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करें, जिसे आप पसंद नहीं करते। उस इंसान के साथ बहुत प्यार से, खुशी से, समय बिताएं। इससे बहुत सारे बंधन टूट जाएँगे। मगर आप हमेशा किसी ऐसे व्यक्ति के साथ मिल कर काम करते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं - यह आपके लिए अच्छा नहीं है।

अगर आप किसी ऐसी चीज को चुनते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं, तो यह आपके व्यक्तित्व को मजबूत बनाता है। ऐसी चीजें करना सीखें, जिसे आप पसंद नहीं करते, ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं, जिन्हें आप पसंद नहीं करते - और फिर भी अपना जीवन समझदारी से, प्रेम से, आनंदपूर्वक जिएं। सारे बंधन टूट जाएंगे।