सद्‌गुरुपुण्य पूजा अपने घर या दफ्तर को जीवंत बनाने की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि ये पूरे घर की प्राण प्रतिष्ठा करने का एक तरीका है, जिससे आप घर के अन्दर ऊर्जा की स्थिति बेहतर बना सकते हैं।

प्रश्न: सद्‌गुरु, मेरा सवाल लिंग भैरवी पुण्य पूजा के बारे में है। मैंने कुछ सप्ताह पहले अपने घर पर यह पूजा करवाई थी। क्या आप समझा सकते हैं कि यह पुण्य पूजा किस तरह से काम करती है? यह पूरी पूजा आम तौर पर होने वाली पारंपरिक पूजा से तो काफी अलग है।

सद्‌गुरु: आपने कोई पारंपरिक पूजा देखी ही नहीं है। आपने काफी हद तक प्रोफेशनल पूजा देखी है। यह कोई प्रोफेशनल पूजा नहीं है। इस पूजा को कराने के लिए जो ‘मां’ आपके घर आती हैं, वे पेशेवर पुजारी नहीं हैं। वे इस पूजा को सफल बनाने में जान लगा देती हैं। तो सवाल यह है कि यह पुण्य पूजा है क्या और यह इतनी असरदार कैसे होती है?

 

पुण्य और पाप का अर्थ ठीक से समझना होगा

आपको पता है, पुण्य क्या होता है? दुर्भाग्यवश जिसे पुण्य और पाप कहा जाता है, उनका काफी समय से बहुत गलत अर्थ निकाला जाता रहा है।

  अगर कम से कम साल में एक बार पुण्य पूजा करवाई जाए, तो आपके आस-पास की जगह जीवंत हो जाएगी और आपके हित में काम करेगी।
पुण्य का मतलब ऐसे कार्य हैं जो आपके भीतर जीवन के जोश को बढ़ाते हैं और पाप का मतलब ऐसे काम जो आपको जीवन ऊर्जा को जड़ता की ओर ले जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो जो काम आपको जीवन की ओर ले जाते हैं – पुण्य हैं, और जो कार्यकलाप आपको मृत्यु की ओर ले जाते हैं- पाप हैं। मृत्यु से मेरा मतलब शारीरिक मृत्यु से नहीं है, आप कई रूपों में मर सकते हैं।

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आपने कितने समय से पूर्णिमा का चांद नहीं देखा?

पिछली बार आपने सूर्योदय कब देखा था?

पिछली बार ऐसा कब हुआ था, जब आपने वाकई बैठकर एक फूल को खिलते देखा हो? क्या आपने कभी ऐसा किया है?

जीवन-प्रक्रिया में बहुत सी शानदार चीजें घटित होती रहती हैं। हर दिन, हर पल ऐसा होता है। अधिकतर इंसान उनके प्रति मरे हुए हैं। वे चंद्रमा के प्रति जड़ हैं, सूर्योदय के प्रति जड़ हैं, सूर्यास्त के प्रति जड़ हैं। जब बहुत ज्यादा जरूरी होता है, या उन्हें सुबह जल्दी उठकर काम पर जाना होता है, तभी वे सूर्य को देख पाते हैं। इसकी वजह यह है कि मनोवैज्ञानिक चीजों ने ब्रह्मांडीय चीजों की जगह ले ली है। आपकी अपनी मूर्खतापूर्ण दिमागी रचना स्रष्टा की सृष्टि पर हावी हो गई है।

जीवन जोश और उल्लास की अंतहीन अवस्था है

पुण्य पूजा का मकसद आपके लिए ऊर्जावान स्पेस तैयार करना है, जहां आप जीवन के प्रति जीवंत हो सकें क्योंकि जीवन ही जीवन को जीवंत बनाता है। उसे सिर्फ इसी तरह बेहतर बनाया जा सकता है। आपको समझना होगा कि अगर आपको जीवंत होना है, तो आपको जीवन को अपने अंदर समाना होगा। चाहे आप उसे किसी सब्जी, फली, अनाज, पशु, पक्षी, मछली या जिस भी रूप में लें, मुख्य रूप से आपको इस जीवन के लिए जीवन को आत्मसात करना होगा। हमेशा जीवन, जीवन को खा जाता है, जरूरी नहीं है कि यह सिर्फ भोजन के द्वारा ही हो। हर पल सारा अस्तित्व इसी तरह है। ब्रह्मांड एक जीवंत जगह है और यहां एक जीवन दूसरे जीवन में फिर वह तीसरे जीवन में – एक जीवन रूप दूसरे में, दूसरा किसी और में समाता रहता है।

इन सबके प्रति जागरूक या जीवंत होने की क्या अहमियत है? अहमियत सिर्फ यह है कि आप एक जीवन हैं। इसका लाभ क्या है? आपको लगता है कि लाभ तो होना ही चाहिए - यह आपकी मनोवैज्ञानिक बकवास है। मैं चाहता हूं कि आप इस पर ध्यान दें – आप जन्मे, अब तक जीवन जिया, मैं आपको लंबे जीवन का आशीर्वाद दूंगा, मगर फिर भी एक दिन आपको मरना ही है। आपके मरने के बाद, हम पीछे मुड़ कर देखेंगे कि इस इंसान का क्या उपयोग था। जन्म लेना, ये सारी चीजें करना और फिर एक दिन मर जाना? वाकई कोई उपयोग नहीं है। पर्यावरण के नजरिये से एकमात्र उपयोगी चीज आपकी मौत लगती है क्योंकि हम और आप मिलकर अच्छी खाद बन सकते हैं।

जीवन का क्या उपयोग है? कोई उपयोग नहीं है। उसका क्या अर्थ है? यही सबसे खूबसूरत चीज है – कि इसका कोई अर्थ नहीं है। अगर इसका कोई अर्थ होता, और आप उसे खोज लेते, तो उसके बाद आप क्या करते? आपको फंदे पर लटकना पड़ता। इसका कोई अर्थ नहीं है। यह जोश और उल्लास की एक अंतहीन अवस्था है। आप इस अवस्था का अनुभव करके ही जीवन को जान सकते हैं। वरना आप सिर्फ अपने मूर्खतापूर्ण विचारों और भावनाओं को ही जान पाते हैं।

पुण्य पूजा - पूरे घर की प्राण प्रतिष्ठा का एक तरीका है

पुण्य पूजा आपके घर को जीवंत बनाती है। घर का दायरा जीवंत होना चाहिए। अगर आप अपने घर में इस तरह रहते हैं कि हर पल आपके भीतर प्रेम और रोशनी का उत्साह होता है, फिर आपको किसी पुण्य पूजा की जरूरत नहीं है। मगर आज आप इतने विशाल घर बनाते हैं कि सिर्फ वहां रहते हुए उन्हें जीवंत बनाना बहुत मुश्किल होता है। अगर आपके पास सिर्फ एक कमरे का घर होता और आप प्रेम और खुशी की जबर्दस्त भावना के साथ उसमें रहते, तो आप आसानी से उसे बहुत जीवंत रख सकते थे। मगर आजकल आपके घर में दस-पंद्रह कमरे होते हैं। किसी भी इंसान के लिए उसे जीवंत रखना बहुत मुश्किल है। अगर आप उसे कभी जीवंत नहीं बनाते, फिर अगर आप धीरे से अपने घर के कुछ खास हिस्सों में प्रवेश करें तो आपको वह ताबूत की तरह महसूस होगा। कुछ हिस्से जीवंत हो सकते हैं, आम तौर पर मैं रसोईघरों को जीवंत पाता हूं क्योंकि वह इकलौती ऐसी जगह होती है, जहां कुछ न कुछ हो रहा होता है।

अगर कम से कम साल में एक बार पुण्य पूजा करवाई जाए, तो आपके आस-पास की जगह जीवंत हो जाएगी और आपके हित में काम करेगी। सवाल है कि क्या आप किसी ताबूत में खूबसूरती से नहीं रह सकते? अगर आप इसमें सक्षम हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं, लेकिन हर कोई इसमें सक्षम नहीं है। उन्हें बाहरी मदद की जरूरत पड़ती है। इसी वजह से प्रतिष्ठित स्थानों को तैयार किया जाता है। पुण्य पूजा आपके पूरे घर, उसके हर हिस्से की प्राण प्रतिष्ठा का एक तरीका है ताकि उसमें जीवंतता और ऊर्जा रहे। मगर हम स्थायी तौर पर आपके घर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं कर सकते क्योंकि आपका घर उस ज्यामिति के अनुसार नहीं बना है। उसमें हमेशा के लिए ऊर्जा को धारण करने के लिए अनुकूल सामग्री नहीं है।

अगर हम ईंट या पत्थर से बने किसी घर को जीवंत बनाते हैं, तो वह आसानी से एक-दो सालों तक जीवंत रह सकता है। अमेरिकी घरों में, खास तौर पर लकड़ी से बने और अंदर ढेर सारे इंसुलेटिंग सामग्री वाले घरों में अगर कुछ जीवंत न हो रहा हो या वहां रहने वाले लोग डिप्रेशन में हों, तो पुण्य पूजा का असर छह से आठ महीनों में कम हो सकता है। वह बहुत लंबे समय तक कारगर नहीं होगा क्योंकि उसमें इस्तेमाल की गई सामग्री उसके अनुकूल नहीं है। मगर यह आप पर भी निर्भर करता है कि आप कैसे हैं। सामग्री चाहे कोई भी हो, अगर आप ठीक हैं तो आप खुशी-खुशी रह सकते हैं।

ऊर्जा की कमी मानसिक परेशानी का कारण बन सकती है

एक और पहलू है - एक ही हवा का चक्कर लगाते रहना। अब कोई खिड़की-दरवाजे नहीं खोलता। वही हवा हर समय कमरे के भीतर घूमती रहती है, जिसमें गति और जीवंतता की मात्रा बहुत कम होती है। अगर आपके आस-पास ढेर सारे पेड़-पौधे हों और अगर आप खिड़कियां खुली रखते हैं तो वे कुछ हद तक आपके लिए पुण्य पूजा का असर बनाए रखते हैं। मगर अधिकांश घर बंद रहते हैं, जिसमें वही हवा हर समय घूमती रहती है।

लोग खुशी से इधर-उधर घूमते नहीं रहते। या तो वे अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते रहते हैं या डिप्रेशन में रहते हैं या सोते रहते हैं। जड़ता, तनाव और अलग-अलग स्तरों के दबाव धीरे-धीरे घर में बनते रहते हैं और इंसान को घेर सकते हैं। आप देखेंगे कि बहुत से लोग, जो बीमार और मानसिक तौर पर दबा हुआ महसूस करते हैं, अगर सिर्फ उस जगह से बाहर चले जाएं तो उन्हें अच्छा लगने लगेगा। अगर वे किसी और जगह चले जाएं, तो लगभग सेहतमंद हो जाते हैं। मानसिक समस्याओं से पीड़ित हर कोई शारीरिक तौर पर बीमार नहीं होता। ज्यादातर लोग जिन स्थितियों में रहते हैं, उसका शिकार हो जाते हैं।

ऊर्जा की स्थिति उनमें से एक महत्वपूर्ण तत्व है। तो क्या यह किसी तरह का तंत्र है?
‘तंत्र’ शब्द ने पश्चिम में एक विचित्र अर्थ ले लिया है मगर ‘तंत्र’ शब्द का असली मतलब तकनीक है, अगर आप उस रूप में इसका प्रयोग कर रहे हैं तो। वरना यह योग है।

शांभवी महामुद्रा से भी ऐसा असर हो सकता है

हमने आपको एक क्रिया सिखाई है जो हर समय आपके शरीर को जीवंत रखता है। मगर आपके घर के विस्तृत लकड़ी की सजावट को कैसे जीवंत कैसे रखें? अगर आपकी क्रिया बहुत शानदार है, अगर आपकी शांभवी महामुद्रा आपके भीतर किसी विस्फोट की तरह है, तो अगर आप सिर्फ घर में चारो ओर घूमें तो शायद वह जगह ठीक हो जाएगी। लेकिन अगर आप ऐसे नहीं हैं तो पुण्य पूजा की सहायता लेना अच्छा रहेगा। यह एक अद्भुत प्रक्रिया है।

पुण्य पूजा करवाने के लिए नीचे दिए ईमेल पर संपर्क करें poojas@lingabhairavi.org
या फिर इस नंबर पर कॉल करें        -  +91 9443365631