सद्‌गुरुइस बार के स्पॉट में सद्‌गुरु योग दिवस के प्रभाव के बारे में बता रहे हैं। उनके अनुसार मनुष्य खुशहाली के लिए ऊपर या बाहर की ओर देखना छोड़ कर अंदर की ओर देखना शुरू करे – यही योग दिवस का संदेश है।

योग का इतिहास तरीकबन 15000 साल पुराना है। जो इतने लंबे समय से बिना किसी जोर-जबरदस्ती, किसी धर्माचार्य परंपरा, किसी मजबूत समर्थन या धर्मांतरण के, लगातार फलता-फूलता और टिका रहा है। अगर यह अब तक टिका हुआ है, तो इसका एकमात्र कारण इसकी अपनी खूबियां है। मानवता की खुशहाली कभी भी बाहर देखने से नहीं हो सकती। उसकी बेहतरी केवल तभी हो सकती है, जब लोग अपने भीतर की ओर मुड़ें, अपने भीतर झांके। इसकी वजह यह है कि मानव अनुभव भीतर से ही आता है। न तेा उपर देखना, न बाहर, अगर देखना है तो बस अपने भीतर - योग दिवस का बस यही संदेश है। मैं भारत भूमि के प्रति अपनी श्रद्धाजंलि प्रकट करता हूँ, जिसने दुनिया को योग का उपहार दिया।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन पर दुनिया भर में हमारे हजारों साधकों ने लोगों को आसान से उप-योग के  अभ्यास सिखाए। इस मौके पर मैं उन सभी लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना चाहता हूं, जिन्होंने इस तरह से योग के लिए खुद को अर्पित किया। योग दिवस केवल एक दिन का आयोजन भर ही नहीं होगा, बल्कि यह लोगों के जीवन जीने के तरीके में एक आयामीय बदलाव होगा।

आज (24 जून) ध्यानलिंग की प्रतिष्ठा की 16वीं जयंती थी। योगिक संस्कृति में 16 का काफी महत्व है। जब आदियोगी ने अपना ज्ञान दुनिया को बांटना चाहा, तब उन्होंने 112 तरीकों की खोज की और उनके बारे में समझाया, जिससे कोई भी इंसान अपनी परम-प्रकृति को पा सकता है। लेकिन जब उन्होंने देखा कि 112 तरीकों को सीखने में उनके सात शिष्यों को काफी समय लग सकता है, तो उन्होंने इन तरीकों को सात हिस्सों में बांटने का फैसला किया।

आज से 16 साल पहले मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मैं अब भी इस दुनिया में रहूंगा। मैंने हमेशा 42-43 की उम्र में अपने जाने के बारे में सोचा था। लेकिन इस मामले में मैं हरेक को निराश कर रहा हूं।

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