सद्‌गुरुसद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि कुछ समय से उनका ध्यान बिजनेस लीडर्स पर ज्यादा केन्द्रित है, और आजकल बिजनेस से जुड़ी सभाओं की भाषा में लाभ कमाने से ज्यादा बदलाव लाने पर चर्चा हो रही है।

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैंने कहीं पढ़ा था कि विकासशील देशों में जहां सरकार एक डॉलर खर्च करती है, वहां निजी कंपनियां सात डॉलर खर्च करती हैं। हम योग का इस्तेमाल करके, अपना फायदा देखने वाले निजी संस्थानों की मदद कैसे लें, जिससे हम वाकई एक समुचित व निष्पक्ष विकास पा सकें?

आज बिजनेस लीडर्स के सोचने का तरीका अलग है

सद्‌गुरु : पिछले बीस सालों से मैं आमतौर पर बिजनेस लीडरशिप पर ज्यादा फोकस कर रहा हूं, क्योंकि आज से कुछ सौ साल पहले इस धरती पर सबसे ताकतवर व प्रभावशाली धार्मिक लीडरशिप हुआ करता था।

अब कोई भी चीज तभी टिकाऊ होती है, जब यह दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद हो, फिर चाहे वह बाजार की बात हो या शादी का मामला। यह चीज धीरे-धीरे बिजनेस लीडरशिप में आती जा रही है।
बाद में जब बड़े पैमाने पर सैन्य साजो-सामान व मशीनरी आदि बनने लगे तो सैन्य नेतृत्व दुनिया पर राज करने लगा। पिछले सौ सालों में लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए नेता दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली होने लगे। आने वाले पंद्रह से पच्चीस सालों में आप देखेंगे कि बिजनेस लीडरशिप इस धरती पर सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण हुआ करे गी। एक बिजनेसमैन के बारे में सबसे अच्छी बात यह होती है कि अगर कोई सौदा अच्छा हो तो वह उसे पूरा करने के लिए हमेशा इच्छुक रहता है, फिर उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला कौन है? पहले कुछ लोगों की सोच हुआ करती थी कि ‘मैं हर किसी या किसी खास व्यक्ति के साथ सौदा नहीं कर सकता’। अब समय बदल रहा है और अब लोग हर किसी के साथ सौदे के लिए इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। अब कोई भी चीज तभी टिकाऊ होती है, जब यह दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद हो, फिर चाहे वह बाजार की बात हो या शादी का मामला। यह चीज धीरे-धीरे बिजनेस लीडरशिप में आती जा रही है। मैंने देखा है कि पिछले बीस सालों में प्रमुख बिजनेस लीडर्स के सोचने का तरीका पहले के लोगों से काफी अलग है।

लाभ कमाने की जगह बदलाव लाने की सोच

मेरा मूल काम नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर उनकी निजी महत्वाकांक्षाओं से निकालकर एक बड़े विजन की ओर ले जाना है। बड़े विजन का मतलब है - बिजनेस एक लंबे समय तक टिकाऊ हो। 

 हालांकि इस सोच को साकार रूप लेने में अभी भी एक लंबा सफर तय करना है, लेकिन सबसे बड़ी चीज - कम से कम भाषा तो बदली है, लाभ कमाने की जगह कुछ बदलाव लाने की बात तो हो रही है।
अगर चीजें आपकी निजी महत्वाकांक्षा के चलते होंगी तो दुनिया आपके खिलाफ काम करने लगेगी। अगर आपका विजन व्यापक होगा तो यह दुनिया आपके साथ मिलकर काम करेगी, दोनों बातों में यही सबसे बड़ा फर्क है। यह एक ऐसी चीज है, जो धीरे-धीरे बिजनेस लिडरशिप में घर करती जा रही है। अगर आप बड़े बिजनेस हाउसेज की सालाना बैठकों पर नजर डालें कि वे क्या चर्चा कर रहे हैं, अगर आप वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम या फिर दुनिया की विभिन्न आर्थिक सभाओं पर नजर डालें, तो आप पाएंगे कि उन लोगों ने एक व्यापक नजरिए को लेकर बात करनी शुरू कर दी है - जैसे ज्यादा लाभ कमाने के बजाय एक बदलाव लाने की बात करने लगे हैं। यही आजकल के बिजनेस की भाषा बन गई है। हालांकि इस सोच को साकार रूप लेने में अभी भी एक लंबा सफर तय करना है, लेकिन सबसे बड़ी चीज - कम से कम भाषा तो बदली है, लाभ कमाने की जगह कुछ बदलाव लाने की बात तो हो रही है।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.