सद्गुरु की कविता - कोमलता
ArticleJan 30, 2017
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु ने एक कविता लिखी है। वे अपने अस्तित्व और असीम के बीच के सम्बन्ध को हमारे साथ साझा कर रहे हैं। पढ़ते हैं ये कविता...
कोमलता
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आँसू- मेरे अति-कोमलता के
छलक आते हैं मेरी आंखों में,
भर उठता है मेरा हृदय
न प्रेम से, न ही करुणा से
बल्कि उस कोमलता से
जो जोड़ती है मेरे अस्तित्व को सभी से।
है ये इतना कोमल
कि इसे छूना भी संभव नहीं
है असंभव इसका आलिंगन करना
जरुरत है मुझे एक आवरण की
आवरण एक अख्खड़पन का
छूने के लिए किसी की सांस को भी
क्योंकि खत्म कर सकता है मेरे अस्तित्व को
किसी की सांस का स्पर्श भी
और आलिंगन मिटा देगा
हर उस चीज़ को
जिसे समझा जाता है मेरे रूप में
आँसू- मेरे अति-कोमलता के
छलक आते हैं मेरी आंखों में,
भर उठता है मेरा हृदय ।
Love & Grace