सद्‌गुरुअध्यात्म की राह पर चलने के लिए कुछ लोग प्रेम को तो कुछ करुणा को अधिक महत्व देते हैं। आखिर अंतर क्या है दोनों में और श्रेष्ठ कौन है?

प्रश्न: सद्‌गुरु, प्रेम और करुणा में क्या अंतर है?

सद्‌गुरु : आप अपने भीतर जितने भावों को पोषित कर सकते हैं, उन सबमें से करुणा सबसे कम बंधन और उलझाव पैदा करने वाली है। बल्कि यह सबसे अधिक मुक्तिदायक भावना है।

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वैसे आप करुणा के बिना जी सकते हैं, लेकिन आपके भीतर वैसे भी भावनाएं तो होंगी ही, इसलिए बेहतर होगा कि आप उन्हें करुणा में ही बदल दें। क्योंकि इसके अलावा हर भावना आपके लिए उलझन और बंधन बन सकती है। करुणा, भावनाओं का ऐसा आयाम है, जो आपको मुक्त करता है, जो किसी भी वस्तु या व्यक्ति के साथ नहीं उलझता।

करुणा सभी को शामिल करती है

अकसर आपके प्यार का ईंधन जुनून होता है। करुणा का अर्थ है, जुनून का विस्तार। जब यह किसी एक के लिए होता है, तो इसे जुनून कहते हैं, जब यह सबको अपने में शामिल कर लेता है, तो इसे ही करुणा कहते हैं।

प्रेम अक्सर किसी एक के लिए होता है। यह सुंदर हो सकता है, पर यह किसी ख़ास के लिए होता है। अगर दो प्रेमी एक साथ बैठे हों तो वे सारी दुनिया से कट जाते हैं।
प्रेम आरंभ में एक तरह की पसंद के साथ शुरू होता है, इसलिए यह किसी वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर होता है - जो आपके लिए अच्छा हो! आपका ध्यान हमेशा किसी व्यक्ति या वस्तु की अच्छाई पर लगा रहता है। दूसरे शब्दों में, भाव सीमित हो जाते हैं। जिसे आप प्रेम करते हैं अगर वह अच्छा है, केवल तभी आप उसे प्रेम करते रह सकते हैं। अगर वह आपको बुरा लगने लगता है, तो आप उससे प्रेम नहीं कर सकते।

जबकि अगर कोई बुरा है, या बुरी हालत में है या खराब मूड में है, तब उसके लिए आपकी करुणा और अधिक होगी। करुणा आपको सीमाओं में नहीं बांधती। यह अच्छे और बुरे के बीच भेद नहीं करती। इसलिए करुणा निश्चित तौर पर प्रेम की तुलना में मुक्तिदायक है।

प्रेम सुंदर होता है, पर सीमित होता है

प्रेम अक्सर किसी एक के लिए होता है। यह सुंदर हो सकता है, पर यह किसी ख़ास के लिए होता है। अगर दो प्रेमी एक साथ बैठे हों तो वे सारी दुनिया से कट जाते हैं। उन्होंने अपने लिए निकटता की एक अलग ही दुनिया बना ली है। बुनियादी तौर पर, यह साजिश की तरह है। आप हमेशा अपनी साजिश का आनंद उठाते हैं, क्योंकि ऐसा करने के दौरान आप ख़ास हो जाते हैं। आपकी साजिश के बारे में कोई दूसरा नहीं जानता। आमतौर पर, ज़्यादातर लोगों के लिए यह साजिश ही प्रेम का सच्चा आनंद है।

वे प्यार करते हैं, वे इसका आनंद उठाते हैं, पर जब उनका विवाह होता है, तो वे संसार में उसका ऐलान कर देते हैं। अचानक, इस प्रसंग से उनका सारा आनंद जाने लगता है, क्योंकि अब यह गोपनीय नहीं रहा। अब उनकी इस साजिश के बारे में हर कोई जान चुका है।

प्रेम को करुणा में बदल कर मुक्ति की ओर बढ़ सकते हैं

प्रेम का यह साजिश वाला पहलू ही, बहुत से लोगों के लिए दबाव की वजह बनता है। अगर आप अपने अनुभव से सारे अस्तित्व को परे कर देंगे, तो यह आपको कष्ट की ओर ले जाएगा।

जबकि अगर कोई बुरा है, या बुरी हालत में है या खराब मूड में है, तब उसके लिए आपकी करुणा और अधिक होगी। करुणा आपको सीमाओं में नहीं बांधती।
अगर यह जुनून की तरह शुरू हो कर, जुनून की तरह ही ख़त्म होता है, तो आप जीवन में अपने लिए बहुत सारे कष्टों को न्यौता दे रहे हैं - यह आपके लिए उलझन बन जाएगा। लेकिन अगर यह किसी जुनून की तरह शुरु होता है और असीम करुणा में बदल जाता है, तो यह आपको मुक्त कर सकता है।