क्या आपको सपने देखने से डर लगता है?
क्या आपने किसी समय कुछ ऐसे सपने देखे थे, जो समय के साथ धुंधले पड़ गए? जानते हैं कि कैसे समय के साथ-साथ हम अपने सपनों को खोते जाते हैं और सपनों को साकार करने के लिए हमें क्या करना होगा।
क्या आपने किसी समय कुछ ऐसे सपने देखे थे, जो समय के साथ धुंधले पड़ गए? जानते हैं कि कैसे समय के साथ-साथ हम अपने सपनों को खोते जाते हैं और सपनों को साकार करने के लिए हमें क्या करना होगा।
जब आप छोटे थे, भावी जीवन में क्या बनना है, इसके बारे में आपके मन में कई सपने थे। अपने जीवन का कैसे निर्माण करना है, इस बारे में अनेक लक्ष्य थे।
अठारह वर्ष की आयु में आपने जो सपने देखे थे, वे सब विराट थे।
पच्चीस साल की उम्र में केवल जीवन-यापन के लिए आवश्यक सपने जारी रहे। तीस तक पहुंचते-पहुंचते सारे सपने सूखकर, ‘जीवन में बड़ी-सी कोई उपलब्धि न मिले तो भी ठीक है, अपने पास जो कुछ है बरकरार रहे यही बहुत है।’ यों अपने आपको तसल्ली देने लगे।
कारण पूछने पर बताएंगे, ‘उम्र के बढऩे के साथ-साथ जीवन को समझने की व्यवहार-बुद्धि विकसित हो गई है।’ असल में सपना देखने के लिए भी मन में साहस होना चाहिए। आप वह साहस खो चुके हैं। कोई सपना देखने पर भी उसे साकार करने के साहस के अभाव में कायर बन गए हैं।
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आप किसी भी सपने को, ‘वह पूरा होगा या नहीं’ इसी संदेह-दृष्टि के साथ देखते हैं। इसलिए उन्हें पाने के आपके प्रयत्न भी अधूरे रह जाते हैं।
एक-एक कतरा मूल्यवान है
चीन में एक जेन गुरु थे। उन्होंने अपने शिष्य को बुला कर कहा, ‘मैं स्नान करना चाहता हूं, हौज में पानी भरो।’ शिष्य ने कुएं से काठ की बाल्टियों में पानी भरा, बाल्टियों को कंधे पर ढोते हुए ले जाकर हौज में उंडेला।
गुरु ने हाथ में एक बेंत ली और शिष्य की पीठ पर रसीद कर दी। उसे डांटा, ‘क्यों पानी को बेकार फेंक दिया? पौधों को दे सकते थे न?’
पीठ पर दर्द और आंखों में आंसू के साथ शिष्य ने सफाई दी, ‘जो पानी जमीन पर डाला गया था, वह प्याला-भर नहीं होगा। इतना-सा पानी सींचने पर क्या कोई पौधा आसमान तक ऊंचा हो सकता है?’
‘मूर्ख कहीं का! क्या मैंने पौधे के बढऩे के लिए यह बात कही? अरे, मैं तुम्हारे विकास के लिए कह रहा था। आधी बूंद भर पानी होने पर भी उसे तुच्छ नहीं मानना है, उसे बेकार न किया करो, तभी तुम्हारा भी विकास होगा।’
जेन गुरु ने जो बात कही, वह केवल अपने चेले के लिए नहीं, आपके लिए भी है। अगर आप अपना सपना साकार करना चाहते हैं तो छोटे-से-छोटे अवसर की भी उपेक्षा किये बिना उसका उपयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जिन लोगों को अपने सपने को खाद डालकर उसे साकार करना आता है, वही वास्तव में जीते हैं। बाकी सब इस दुनिया में बस, रहते हैं।
अगर एक पूरी पीढ़ी सपना देखना छोड़ दे तो भले ही उस समाज में अद्भुत चमत्कार किये जाएं, सब व्यर्थ ही हैं। जिन लोगों को जीवन का आस्वाद करते हुए उसका अनुभव करना नहीं आता, ऐसे शुष्क जनों के हाथ में कुछ भी ले जाकर दिया जाए, सब निरर्थक है।
स्वतंत्रता-प्राप्ति से पहले हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति के पास सपना था। अपने सपने को साकार करने के लिए उस जमाने के लोग अपने जीवन को बाजी में लगाने के लिए भी तैयार रहते थे। उनके सपने में इतनी तीव्रता रही तभी आजादी का सपना सच हुआ। इस समय देश के विकास के सपने देखने के लिए यहां कोई नहीं है, यही दुखद बात है।
पूरी लगन से काम करना होगा
अपने भिक्षा-पात्र में आज कौन-सी चीज पड़ेगी? इसी चिंता के साथ आप ऊपर देखते हुए क्यों उकडूं बैठे हुए हैं?
रूस में बैले नृत्य बहुत लोकप्रिय है। लिन किनस्की नामक कलाकार ने बैले नृत्य के लिए स्वयं को समर्पित कर रखा था। जिन कार्यक्रमों में वे भाग लेते, मंच पर लट्टू की तरह घूमते, झूम-झूम कर उछलते-कूदते। गुरुत्वाकर्षण शक्ति सबके लिए समान ही होती है। किंतु जब लिन किनस्की मंच पर उछलते, उस समय वैज्ञानिक नियमों का उल्लंघन करते हुए असाधारण ऊंचाइयों तक उन्हें उछलते देखकर लोग विस्मय-विमुग्ध रह जाते। जब उनसे इस विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा, जिन पलों में मैं आशंकित नहीं होता कि यह मुझसे संभव होगा या नहीं, तब मैंने अपनी क्षमता से परे एक असाधारण शक्ति के साथ नृत्य किया है।
लिन किनस्की का उद्गार एकदम सही है। संपूर्ण लगन के साथ प्रयत्न करते समय अपने से परे एक शक्ति पैदा होती है और सच्ची क्षमता प्रकट होती है। इसलिए सब कुछ संभव है।
अपने सपने को साकार करने के लिए क्या करना चाहिए?
पहले, यह तय कीजिए कि अगले पांच वर्षों में आप कौन-कौन सी उपलब्धियां चाहते हैं। उन्हें लक्षित करते हुए धैर्यपूर्वक कदम बढ़ाइए। प्रत्येक पांच-पांच वर्षों में आपका सपना उत्तरोत्तर विकसित होता जाए।
यदि आप चोटी पर पहुंचना चाहते हैं तो चढऩा ही होगा, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। पांव दुखेंगे, थकान होगी। मन धमकी देगा, ‘यह सब होने वाली बात नहीं है।’ फिर फुसलाएगा, ‘चलकर आराम कर लो न!’ इन सबसे थकिए नहीं। जो भी काम करें उसे पूरी इच्छा के साथ करेंगे तो कोई भी दर्द दुख नहीं देगा। चोटी पर पहुंचते ही थकान मिट जाएगी और सुख का अनुभव होगा।