सद्‌गुरुहम अक्सर जीवन में इच्छाएं करने से पहले यह सोचने लगते हैं कि क्या यह संभव हो पाएगा? असल में आप हर वो चीज पा सकते हैं जिसे आप पाना चाहते हैं। जानते हैं कि कैसे एक संकल्प हमें परम तत्व तक ले जा सकता है

अगर आप अपने आसपास की दुनिया के मानवीय भाव को महसूस करते हैं, तो आप महसूस करेंगे कि आपका अनुभव आवा़जों, विचारों व भावों का कोलाहल बन गया है जो कई स्तरों व अवस्थाओं के भ्रमों से पैदा हो रहे हैं। जब मनुष्य इस भ्रमित अवस्था में होता है, जब वह अपने आसपास की चीजों के प्रति गलत धारणाओं या गलत बोध के बीच जीता है, तो वह अपने और अपने आसपास के लोगों और जीवन के अन्य रूपों के लिए जो पीड़ा व कष्ट पैदा कर लेता हैए वह वास्तव में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होता है।

जो भी चाहते हों, उसे रचें

अधिकतर लोग अपने जीवन में ये भी नहीं समझते कि वे जीवन से क्या चाहते हैं। अगर उन्हें पता भी हो, तो न तो उनमें इतनी इच्छा शक्ति होती है, न ऐसा विजन या संकल्प होता है कि वे कभी उसे साकार रूप दे पाएं।

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अगर किसी इंसान का विजन या संकल्प स्पष्ट हो कि वह अपने साथ और अपने आसपास की दुनिया के साथ क्या करना चाहता है, तो यह उसकी क्षमता से परे नहीं है। यह इस जन्म में भी हो सकता है, इसे पूरा करने में दो जन्म का समय भी लग सकता है, लेकिन जो भी चाहिए, वह मिलेगा जरुर।
वे अक्सर वे काम करते हैं जो आसान हों और जो उनकी पहुंच में हों, चाहें उन्हें अपने जीवन में उसकी जरुरत हो या न हो। हम अक्सर अपने जीवन को इस पल यानी वर्तमान के वास्तविकता के आधार पर रचने की कोशिश करते हैं। हम अपने जीवन से जो पाना चाहते हैं, जरुरी नहीं कि उसका हमारे वर्तमान से कोई संबंध हो। अगर हम अपने नज़रिए को केवल वर्तमान का गुलाम बनाकर रखेंगे तो एक बार फिर यह केवल उन्हीं चीजों से समझौता कर लेगा जिन्हें आसानी से पाया जा सकता है, और जो हमें संभव लगता हैै। बात इसकी नहीं है कि क्या संभव है और क्या संभव नहीं है। बात सिर्फ यह देखने की है कि आपका विज़न या संकल्प क्या है, आप जीवन से किस महानतम चीज को पाना चाहते हैं।

अगर किसी इंसान का विजन या संकल्प स्पष्ट हो कि वह अपने साथ और अपने आसपास की दुनिया के साथ क्या करना चाहता है, तो यह उसकी क्षमता से परे नहीं है। यह इस जन्म में भी हो सकता है, इसे पूरा करने में दो जन्म का समय भी लग सकता है, लेकिन जो भी चाहिए, वह मिलेगा जरुर। जो इंसान जीवन के लिए स्पष्ट संकल्प रखते हुए, हर पल उसकी चाह रखता है, तो वह सबसे बड़ी चीज, जिसे वह पाना चाहता है, उसके कदमों में होगी। लेकिन इंसान का अधिकतर समय भ्रम में बीत जाता है और वह उन चीज़ों को खोजता रह जाता है जिन्हें वह नहीं पाना चाहता। जीवन में ऐसी सोच और संकल्प के अभाव का बुनियादी कारण ये है कि हमारे पास, अपने आसपास की दुनिया की बहुत ही विकृत समझ है।

उस परम को पाने की चाह

आप जिसे सबसे ऊंचा जानते हैं, उसे पाने की चाह रखें। इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा कि आप उसे पाते हैं या नहीं पाते क्योंकि केवल ऐसी चाह के साथ जीना ही अपने-आप में एक बेहतर, मुक्तिदायी व आनंदमयी प्रक्रिया है।

अगर वह किसी बच्चे की तरह अहंकारहीन होगा तो उसे किसी भी चीज़ के बारे में कोई संकल्प रखने की जरुरत नहीं है। अगर ऐसा नहीं है तो यह बहुत महत्व रखता है कि इंसान के पास एक संकल्प, एक विज़न हो।
यह भले ही कल हो जाए या इसे पूरा होने में सौ साल लगें, कोई अंतर नहीं पड़ता। आप अंत में परिणाम के लिए चिंतित नहीं रहते। बस आपके पास एक विज़न या संकल्प है और आपने उसे अपना जीवन सौंपा है। उस परम को पाने का यही सबसे सरल उपाय भी है।

पूरी गीता में यही कहा गया है - जिसे तुम पाना चाहते हो, उसके लिए खुद को बस समर्पित कर दो। इसकी चिंता मत करो कि यह होगा या नहीं। यह अपने-आप में एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। आपका विजन या संकल्प आपको बाहरी और भीतरी सीमाओं से परे जाने में मदद करती है। अगर कोई व्यक्ति बिना किसी विज़न या संकल्प के जीना चाहता है, और वो किसी भी विज़न का बोझ नहीं चाहता, तो उसे बहुत सरल और निश्चल होना होगा। तब वह आराम से जी सकता है। उसे किसी विज़न की जरुरत नहीं है। अगर वह किसी बच्चे की तरह अहंकार हीन होगा तो उसे किसी भी चीज़ के बारे में कोई संकल्प रखने की जरुरत नहीं है। अगर ऐसा नहीं है तो यह बहुत महत्व रखता है कि इंसान के पास एक संकल्प, एक विज़न हो।

कथाएँ भी यही सिखाती हैं

भारतीय संस्कृति में बहुत सी कथाएं और उदाहरण हैं, जब कुछ संतों या ऋषियों ने कुछ पाना चाहा तो स्वयं भगवान को उनके पास आना पड़ा।

अगर आप गहराई से देखें, तो आपका यह संकल्प सार्वभौमिक होगा। आपने जिसे भी परम जाना हो, पूरी एकाग्रता से उसकी चाह रखें . यही जीवन को इसके वर्तमान रूप में और जीवन के परे के आयामों को जानने का सरल उपाय है।
यह सब घटनाएं दिखाती हैं कि अगर आपकी मांग बहुत स्पष्ट है और आप इसके लिए तैयार हैं तो आज जो असंभव लगता है, वह आने वाले कल में आपके जीवन का एक सहज अंग होगा। बिना किसी परेशानी के यह स्वयं आपके क़दमों में आ गिरेगा। परंतु अगर आप हर क्षण में दुविधा में रहे या यही सोचते रहे कि इसे पाया जा सकता है या नहीं पाया जा सकता, तो आप अपने मन और अपने आस पास की दुनिया में जो भ्रम पड़ा करेंगे, वह दुनिया को ही एक बड़े भ्रम में बदल देगा।

समय आ गया है कि हम अपने भीतर उस चीज़ के बारे एक विज़न या संकल्प बनाएं जिस चीज़ की हम सही मायनों में परवाह करते हैं - और ये सिर्फ आज के बारे में नहीं होना चाहिए।  अगर आप गहराई से देखें, तो आपका यह संकल्प सार्वभौमिक होगा। आपने जिसे भी परम जाना हो, पूरी एकाग्रता से उसकी चाह रखें। यही जीवन को इसके वर्तमान रूप में और जीवन के परे के आयामों को जानने का सरल उपाय है।