17 फरवरी को ईशा में 21वें महाशिवरात्रि का आयोजन बड़े ही धूम-धाम से किया गया। इस 21 का महत्व बताते हुए इस बार के स्पॉट सद्‌गुरु अपने संदेश में बता रहे हैं कि कैसे एक बहुत ही छोटे कदम से आप अपने जीवन का रूपांतरण कर सकते हैं:

 

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इस बार, यानी मंगलवार 17 फरवरी को आयोजित महाशिवरात्रि 2019, ईशा योग केंद्र में मनाई गई इक्कीसवीं महाशिवरात्रि थी। योगिक गणित में 21 एक महत्वपूर्ण संख्या है, क्योंकि यह 84 का चैथाई है। और 84 इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि योगिक गणित के अनुसार हम अभी इस सृष्टि के 84वें चक्र में हैं। इंसानी बनावट की प्रकृति पर गौर कर के हमने 84 आसनों की पहचान की है। सूर्य, चंद्रमा व पृथ्वी के बीच के संबंधों में भी 84 संख्या का महत्व होता है।

हमारी शारीरिक बनावट और चंद्रमा व पृथ्वी के संबंधों का बड़ा महत्व है। अगर कोई व्यक्ति अपनी आयु के 84 साल पूरे कर लेता है तो उसका ऊर्जा शरीर परिपक्वता के एक ऐसे खास स्तर तक पहुंच जाता है, जहां उसे तत्काल एक दूसरे शरीर की जरूरत पहले से कम महसूस होने लगती है। इसलिए 84 साल को एक पूरा जीवनकाल माना गया है।

इन 84 सालों को चार हिस्सों में बांटा गया है, जिसे जीवन के चार पदों के रूप में देखा जाता है।

आप वो सब मत कीजिए जो मैं सोचता हूं, आप वही कीजिए, जो आपके विचार से सबसे अच्छा है। अगर इस जीवन में आप जो करना चाहते थे, वो नहीं कर पाए, तो यह जीवन बेकार है।
महाशिवरात्रि आयोजन के 21 साल पूरे होने के साथ फिलहाल हमने अपना पहला पद पूरा किया है। 21 साल पहले ईशा योग केंद्र में एक छोटी सी कुटिया थी और तकरीबन 200 लोग थे, जब हमने पहला महाशिवरात्रि का आयोजन किया था। वह एक जबरदस्त रात थी, उस रात कई शानदार चीजें घटित हुई थीं। उस एक छोटे से आयोजन से शुरू करके हमने महाशिवरात्रि को अपने सबसे प्रमुख व महत्वपूर्ण आयोजन में बदल दिया है। आपके प्रेम व सहयोग और महादेव की कृपा से वैलिंगरी पहाड़ी की तलहटी में महाशिवरात्रि एक सबसे बड़ा और विशाल आयोजन बन गया है। मुझे उम्मीद है कि इस आयोजन को साकार करने में जिसने भी मेहनत और कोशिश की है, वे लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों को न सिर्फ इस रात में जागने के लिए प्रेरित करेंगे, बल्कि उन्हें अपने भीतर जागरूकता लाने के लिए भी प्रेरित करेंगे। यह रात जबरदस्त संभावनाओं से भरी है।

यह हमारी खुशकिस्मती है कि महाशिवरात्रि के 21वें आयोजन पर ईशा योग केंद्र के प्रवेश पर आदियोगी की एक विशालकाय मूर्ति स्थापित हो गई। शायद 48 दिन के रिकॉर्ड समय में हमारे मूर्तिकारों ने आदियोगी की इस 21 फुट लंबी प्रतिमा को साकार कर दिया। यह अपने आप में अद्भुद कौशल था, वे ना खुद सोए ना हम में से बहुतों को सोने दिया, क्योंकि वे लेाग दिन रात एक करके काम कर रहे थे। महाशिवात्रि की रात हमारे शानदार कलाकारों ने अपने संगीत से वहां मौजूद सभी लोगों न सिर्फ जगाए रखा, बल्कि लगातर चेतना का संचार करते रहे। जिला खान ने जहां शंभु के उच्चार में अपनी पूरी दिली भावनाएं उड़ेल दी, वहीं पार्थिव गोहिल ने रात भर अपने संगीत के जादू से सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। वाकई यह अपने आप में एक शानदार रात थी।

यह रात आपके जीवन का एक ऐसा मोड़ बने जहां से आपका सफर जागृति और चेतनता की तरफ शुरु हो। भले ही हम कितने ही प्रतिभावान, सक्षम और मजबूत क्यों न हों, लेकिन अपने जीवन में बिना दैवीय कृपा हासिल किए हम सफल नहीं हो सकते। असली सफलता तभी मिल सकती है, जब हम हमारे जीवन में कृपा हो। कृपा जीवन में उस लुब्रिकेंट या चिकनाई की तरह है, जो जीवन की मशीन को चलाने के लिए जरूरी है। भले ही आपके पास उस मशीन के सारे पुर्जे हो, लेकिन बिना चिकनाई के मशीन काम नही करेगी। वैलिंगरी पर्वत, ध्यानलिंग व महादेव की असीम कृपा को अपने भीतर भरने दीजिए, ताकि वह आपके जरिए जीवंत हो सके और दूसरों तक पहुंच सके।

योगिक गणित में 21 एक महत्वपूर्ण संख्या है, क्योंकि यह 84 का चैथाई है। और 84 इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि योगिक गणित के अनुसार हम अभी इस सृष्टि के 84वें चक्र में हैं।
हम नहीं जानते कि आप अपने जीवन में क्या कर सकते हैं या क्या नहीं कर सकते। हमें नहीं पता कि आप इस दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनेंगे या धरती की सबसे सुंदर महिला, या फिर आप माउंट एवरेस्ट पर चढ़ेंगे या फिर जाने माने धावक मिस्टर बोल्ट के साथ 100 मीटर की रेस लगाएंगे। इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन आप में से हरेक व्यक्ति एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश कर सकता है, जिससे आपको कोई नहीं रोक सकता। मैं चाहता हूं कि शिवरात्रि के आयोजन के हिस्से के रूप में आप यह आसान सा काम कीजिए। आप ऐसी तीन चीजों के बारे में लिखिए, जो आपके विचार से किसी इंसान को बेहतर इंसान बना सकती हैं और फिर इन चीजों को अपने जीवन की हकीकत बना दीजिए। आप वो सब मत कीजिए जो मैं सोचता हूं, आप वही कीजिए, जो आपके विचार से सबसे अच्छा है। अगर इस जीवन में आप जो करना चाहते थे, वो नहीं कर पाए, तो यह जीवन बेकार है। इसलिए कृपया उन तीन चीजों को अपने जीवन की वास्तविकता बनाएं। आने वाले साल में हम फिर मिलेंगे, लेकिन आपके एक बदले रूप से।

Love & Grace