सद्‌गुरुनवरात्रि के अवसर पर ईशा लहर के अक्टूबर अंक में आप पढ़ सकते हैं स्त्री शक्ति और देवी पूजा से जुड़े अनेक पहलूओं के बारे में लेख। पढ़ते हैं इस माह का सम्पादकीय स्तंभ...

प्रिय पाठकगण,

सप्रेम नमस्कार।

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ईशा लहर का यह परिवर्धित व परिष्‍कृत संस्करण आपको भेंट करते हुए हमें अपार खुशी हो रही है। युग युग से चली आ रही इस सनातन संस्कृति के शाश्‍वत मूल्यों को, अस्तित्व के गहनतम सत्यों को, मानवीय जीवन की सीमाओं और संभानवाओं को, दैनिक जीवन की छोटी-बड़ी समस्याओं और उनके समाधान को, सद्‌गुरु के शब्दों के माध्यम से, ईशा लहर के पन्नों में पिरोकर हम आपको भेंट करते आ रहे हैं। आपको हर बार भेंट करके हमें धन्यता का एहसास होता है, हृदय में प्रेम के कुछ अंकुर फूट आते हैं, हम सच्चाई और संभावनाओं के बीच की कुछ दूरी तय कर लेते हैं . . . पर फिर भी तृप्त नहीं हो पाते। एक कसक रह ही जाती है। आपको सर्वस्व भेंट करके एक दिन हम पूर्ण तृप्त हो जाएं, इसकी कोशिश निरंतर जारी है। इसी कोशिश में इस माह से हमने ईशा लहर को अधिक ज्ञानवर्धक और अधिक रोचक बनाने की पहल की है।

नवरात्रि और देवी पूजा पर विशेष लेख

हमेशा की तरह इस अंक में भी हमने जीवन के कई आयामों को छूने की कोशिश की है। अध्यात्म को अंधविश्‍वास से दूर रखने के लिए हम उसके पीछे के विज्ञान को आपसे बांटते रहे हैं। इसी सिलसिले में हमने इस बार नवरात्रि और देवी पूजा से जुड़े पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है। साथ ही जैन धर्म की एक बुनियादी परंपरा संथारा के औचित्य और संदर्भों को समाने की कोशिश भी की है। संथारा पिछले कुछ दिनों से न्यायालय के कुछ फैसलों की वजह से चर्चा में रहा है।

धर्म, विज्ञान और संस्कृति ही नहीं, कौतूहल और रोमांच जैसे रंगों को भी हम रंगोली में सजाते हैं, ताकि आप इसका भरपूर आनंद ले सकें। एक तरफ एक जिज्ञासु की रोमांचकारी यात्रा आपको अगले अंक की प्रतीक्षा में छोड़ देती है, तो दूसरी तरफ ध्यानलिंग की स्थापना यात्रा की रहस्यमय गाथा आपको अचंभित कर देती है।

निष्ठापूर्वक और ईमानदारी से की गई हमारी हर कोशिश को, आपने न केवल स्वीकारा है, सराहा है, बल्कि अपने कीमती परामर्श से हमें आगे बढ़ने को प्रेरित व प्रोत्साहित भी किया है। आशा है हमारी इस कोशिश को भी सफल बनाने में आपका स्नेहिल सहयोग व मार्गदर्शन हमें हमेशा की तरह अवश्‍य मिलेगा। इसी विश्‍वास और आपके लिए मंगलकामनाओं के साथ नए कलेवर में अवतरित ईशा लहर का यह अंक आपको समर्पित है।

- डॉ सरस

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