सद्‌गुरुआध्यात्मिक गुरुओं की व्यवसाय और कारोबारों में भूमिका को लेकर कुछ प्रश्न खड़े किया जाते रहे हैं। क्या गुरुओं का अपना कारोबार खड़ा करना गलत है?

आध्यात्मिक गुरु के बारे में लोगों की राय

बात जब आध्यात्मिक गुरु की आती है, तो दुनिया की चाहे कोई भी संस्कृति रही हो, कोई भी काल रहा हो, वे हमेशा समाज में चर्चा के विषय रहे हैं। कभी वे अपने संयम, संतुलन और सिद्धियों को लेकर आकर्षण का केंद्र रहे हैं, तो कभी अपने प्रेम, करुणा और कृपा के कारण भक्तों में पूजनीय व वंदनीय रहे हैं।

आज जब सत्ता का केंद्र राजनीति से हटकर व्यापार की तरफ  स्थापित हो रहा है तो यह भी उतना ही आवश्यक हो गया है कि अध्यात्म कारोबार को राह दिखाए।
कभी राजनीति और व्यापार में अपने हस्तक्षेप को लेकर विवादों में घिरे हैं, तो कभी उत्पीड़ण, यौन-शोषण और भ्रष्टाचार को लेकर समाचारों की सुर्खियों में रहे हैं। आध्यात्मिक गुरुओं के आचरण से लेकर उनकी राजनीति व व्यवसाय में भूमिका जैसे मुद्दे मीडिया में निरंतर बहस के विषय रहे हैं।

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अध्यात्म में आपकी रूचि हो या न हो, आध्यात्मिक गुरु को लेकर हर इंसान की अपनी एक अवधारणा होती है। दरअसल, हमने हमेशा से आध्यात्मिक इंसानों व गुरुओं के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को अपनी सोच और समझ की सीमाओं में बांधने की कोशिश की है। लेकिन सवाल यह है कि आध्यात्मिक सागर की गहाराई को बुद्धि के भौतिक पैमाने से नापना कितना उचित है?

जरुरी है कि आध्यात्मिकता कारोबार को राह दिखाए

एक संवाद के दौरान एक फिल्म अभिनेता ने सद्गुरु से पूछा, ‘सद्गुरु, आप अर्थिक सम्मेलनों में भाग लेते हैं, रेसिंग कार चलाते हैं, हेलिकॉप्टर उड़ाते हैं, क्रिकेट खेलते हैं, आपने दुनिया की हर चीज के साथ हाथ आजमाया है। एक आध्यात्मिक गुरु का इन सब से क्या वास्ता है।’ सद्गुरु ने बड़ी ही शालीनता से जवाब दिया, ‘दुनिया को हमेशा यह वहम रहा है कि आध्यात्मिकता एक तरह की अक्षमता है। आध्यात्मिकता अक्षम होने की प्रक्रिया नहीं है, यह तो आपको सक्षम बनाने के बारे में है। यह अपनी क्षमताओं और संभावनाओं में पूरी तरह से खिलने के बारे में है।’

परिवर्तनशीलता प्रकृति का नियम है। परिवर्तन की इस निरंतर प्रक्रिया को जब भी एक सही दिशा मिली है, समाज ने उन्नति की है। इसी वजह से हर युग में शासक अपने आध्यात्मिक गुरुओं का मार्गदर्शन लेते रहे हैं। लेकिन आज जब एक आध्यात्मिक गुरु राजनीतिक मंच पर नजर आता है तो लोगों के चेहरे पर सवाल उगने लगते हैं। आज जब सत्ता का केंद्र राजनीति से हटकर व्यापार की तरफ  स्थापित हो रहा है तो यह भी उतना ही आवश्यक हो गया है कि अध्यात्म कारोबार को राह दिखाए।

व्यवसाय से जुड़े लोग कई लोगों की खुशहाली तय करते हैं

हम इसे पसंद करें या न करें, पर यह सच्चाई है कि आज के बाजारीकरण के युग में लोगों के जीवन की गुणवत्ता बाजार पर भी निर्भर करती है। इसलिए यह बहुत अहम हो जाता है कि बाजार को चलाने वाले लोग कौन हैं, बाजार के नेता कैसे हैं।

सच्चे आध्यात्मिक गुरुओं में मानवीय संभावनाएं पूर्ण अभिव्यक्ति पाती हैं, उनकी क्षमताएं पूरी प्रखरता में निखरती है। उनमें गहरी सूझ-बूझ और स्पष्ट दृष्टि होती है।
लाभ वे किसे समझते हैं? व्यापार में कैसे निवेश करें जिससे न सिर्फ  कारोबारियों को लाभ हो, बल्कि वह मानवता के लिए सच्ची खुशहाली लाए और उससे इंसान का कल्याण हो? कारोबार को सही दिशा देने में और सही दशा तक पहुंचाने में आज सक्षम व दूरदर्शी इंसानों की सख्त जरूरत है और ऐसे में आध्यात्मिक गुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

गुरु महज उपदेशक नहीं होते, बल्कि उनका जीवन हमारे लिए एक जीवंत मिसाल होता है। सच्चे आध्यात्मिक गुरुओं में मानवीय संभावनाएं पूर्ण अभिव्यक्ति पाती हैं, उनकी क्षमताएं पूरी प्रखरता में निखरती है। उनमें गहरी सूझ-बूझ और स्पष्ट दृष्टि होती है। जिस भी क्षेत्र में वे अपना हाथ आजमाते हैं, उसमें कारगर साबित होते हैं। उनका मुख्य कारोबार इंसान को खुशहाल बनाना और उसका कल्याण करना होता है। वे हर उस कार्य को करने के लिए तत्पर रहते हैं, जो इंसान को उसकी परम प्रकृति के करीब ले जाने में सहायक सिद्ध हो - चाहें वह कोई खेल हो, राजनीति हो, कारोबार हो या युद्ध।

गुरु की इस महती और व्यापक भूमिका को एक छोटी सी जगह में, थोड़े से शब्दों में आप तक पहुंचाने की कोशिश की है हमने इस बार। अपनी इस कोशिश के प्रति आपकी प्रतिक्रिया व सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी . . .

- डॉ सरस

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