बहुआयामी कृष्ण– जब जैसा, तब तैसा
कृष्ण एक प्रेमी थे या एक योद्धा? वे युद्ध चाहते थे या युद्ध से भागते थे? उनके व्यक्तित्व को लेकर ऐसी विरोधी बातें मन में आना बेहद स्वाभाविक है। तो आइए जानते हैं उनके व्यक्तित्व के इस विरोधाभास का राज:
कृष्ण एक प्रेमी थे या एक योद्धा? वे युद्ध चाहते थे या युद्ध से भागते थे? उनके व्यक्तित्व को लेकर ऐसी विरोधी बातें मन में आना बेहद स्वाभाविक है। तो आइए जानते हैं उनके व्यक्तित्व के इस विरोधाभास का राज:
कृष्ण परिस्थितियों के हिसाब से कर्म की बात करते हैं। कुछ लोगों के साथ उनका व्यवहार करुणा से भरा होता था, तो कुछ लोगों के साथ वह बड़ी कठोरता के साथ पेश आते थे। जहां उन्हें किसी को जान से मारना जरूरी लगा, वहां उन्होंने मारा भी, और जहां किसी की देखभाल करने की जरूरत थी, वहां उन्होंने देखभाल भी की।
Subscribe
युद्ध के मैदान में जाने से पहले अंतिम पल तक उनकी यही कोशिश होती थी कि युद्ध को कैसे टाला जाए। लेकिन जब यह तय हो जाता कि अब युद्ध को नहीं टाला जा सकता, तो वह मुस्कुराते हुए युद्ध के मैदान में जाते और लोगों को मौत के घाट उतारते थे। उनके आसपास के लोग अकसर उनसे पूछते थे कि वे इतनी निर्दयता का काम मुस्कुराते हुए क्यों करते हैं। जब लोग उन्हें गालियां देते, उन्हें तरह-तरह की कठिनाइयों में डाल देते, तब भी वह मुस्कुराते रहते थे। एक बार जरासंध अपनी बड़ी भारी सेना लेकर मथुरा आया। वह कृष्ण और बलराम को मार डालना चाहता था, क्योंकि उन्होंने उसके दामाद कंस की हत्या कर दी थी। कृष्ण और बलराम जानते थे कि उन्हें मारने की खातिर जरासंध मथुरा नगरी की घेराबंदी करके सारे लोगों को यातनाएं देगा, तो लोगों की जान बचाने के लिए उन्होंने अपने परिवार और महल को छोडऩे का फैसला कर लिया और किसी निर्जन स्थान पर चले गए।
इस दौरान उन्हें तरह-तरह के शारीरिक कष्ट झेलने पड़े। कृष्ण ने इस सब को बड़ी सहजता से लिया। सब कुछ उनके लिए सीखने की एक प्रक्रिया थी। उन्होंने वनों और पर्वतों का भरपूर आनंद लिया। उन्होंने बलराम को भी सिखाया कि जंगल में कैसे रहा जाता है। बलराम थोड़े खीज गए और बोले, 'खाना, मदिरा, औरतें, यहां जंगल में कुछ भी तो नहीं है। आखिर हम क्यों इतने कष्ट उठा रहे हैं? जबकि तुम दावा करते हो कि तुम भगवान हो। इस तरह की कठोर परिस्थितियां हमारे सामने क्यों आती रहती हैं?'
कृष्ण ने कहा, 'ऐसी चीजें हमारे साथ बस इसलिए हो रही हैं, क्योंकि हम लोग जीवन को तीव्रता और गहराई में जी रहे हैं। वो सब कुछ, जिसमें जीवन है, हमारे साथ घटित होगा। दूसरों के साथ यह सब नहीं होगा। देखिए, उनका जीवन कितना नीरस है। हमें अपनी जान बचाने के लिए जंगलों में भागना पड़ता है, हमें अपने भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए हमें यहां-वहां जाना पड़ता है, लेकिन देखिए हमारा जीवन कितना जोश से भरा हुआ है।