सद्‌गुरु सद्‌गुरु बता रहे हैं कि सेहतमंद बनने के लिए हमें तीन मूल चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है। जानते हैं इन तीन चीज़ों - भोजन सक्रियता और आराम के कुछ सरल टिप्स।

योग में हम मानव शरीर को पांच परतों के रूप में देखते हैं। योग प्रणाली में मन जैसी कोई चीज नहीं होती। हर चीज को शरीर के रूप में देखा जाता है। इन्हें अन्नमय कोष, मनोमय कोष, प्राणमय कोष, विज्ञानमय कोष और आनंदमय कोष कहा जाता है।

अगर आप भौतिक शरीर, मानसिक शरीर और प्राणिक या ऊर्जा शरीर को उचित तालमेल और संतुलन में ले आते हैं, तो आपको कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी नहीं हो सकती। मैं आपको सैंकड़ों-हजारों लोग दिखा सकता हूं जिन्होंने सिर्फ अपने अंदर एक खास संतुलन बनाकर पुरानी बीमारियों और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निजात पाई है। शरीर में संतुलन का अभाव तमाम तरह की समस्याएं पैदा करता है। जब शरीर एक खास आराम की अवस्था में आ जाता है, तो कोई रोग पास नहीं फटकता। इसलिए जब आप इन चीजों को संतुलन में ले आते हैं, तभी आनंदमय कोष को छूने की संभावना पैदा होती है, जहां परमानंद एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाती है। ऐसा नहीं होता कि आप किसी चीज को लेकर आनंदित हों, आप सिर्फ इसलिए आनंदित होते हैं क्योंकि यह जीवन की प्रकृति है। सेहतमंद बनने के लिए, आपको तीन बुनियादी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है - भोजन, सक्रियता और आराम।

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सीखते हैं स्वास्थ्य के लिए एक सरल योग

सेहतमंद होने के लिए तीन चीजों पर ध्‍यान दें

भोजन

जब भोजन की बात आती है,तो आपको एक अहम चीज का ध्यान रखना चाहिए - किसी दिन जब आप एक खास तरह का भोजन करते हैं, तो आप जो भी खाते हैं आपको पूरी सजगता के साथ ध्यान देना चाहिए कि वह कितनी जल्दी पचता है और आपका एक हिस्सा बन जाता है।

शाम के भोजन और सोने के समय में कम से कम तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। और उस दौरान आपको कुछ हद तक शारीरिक रूप से सक्रिय होना चाहिए।
आप जो भी चीज खाते हैं, अगर वह तीन घंटे से अधिक पेट में रहती है, तो इसका मतलब है कि आपने गलत चीजें खाई हैं और आपको उस खाद्य पदार्थ से परहेज करना चाहिए या उसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए। अगर खाना तीन घंटे के अंदर आपके पेट की थैली से निकल जाता है, तो इसका मतलब है कि आपने ऐसी चीज खाई है जिसे आपका शरीर बहुत अच्छी तरह संभाल सकता है। हो सकता है कि वह सबसे अच्छा खाना न हो, मगर आपका शरीर उसे संभाल सकता है। और दो भोजनों के बीच में कम से कम पांच से छह घंटे का अंतर होना चाहिए।

शाम के भोजन और सोने के समय में कम से कम तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। और उस दौरान आपको कुछ हद तक शारीरिक रूप से सक्रिय होना चाहिए। अगर हम भोजन के पेट की थैली में रहते हुए सो जाते हैं, तो शरीर में एक तरह की जड़ता या सुस्ती पैदा होती है। पेट की थैली के भरे होने के कारण पेट के आस-पास के दूसरे अंगों पर दबाव पड़ता है। इससे तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उभरती हैं।

सक्रियता

जहां तक सक्रियता का सवाल है, हमें यह सरल सी चीज समझने की जरूरत है कि हमारा शरीर आगे-पीछे झुकने और दाएं-बाएं दोनों ओर घूमने में सक्षम है।

शाम के भोजन और सोने के समय में कम से कम तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। और उस दौरान आपको कुछ हद तक शारीरिक रूप से सक्रिय होना चाहिए।
इतनी सक्रियता जरूर होनी चाहिए, चाहे हम जो भी करें, किसी भी रूप में। आपको किसी तरह यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप रोजाना आगे, पीछे झुकें, दोनों ओर मुड़ें और पालथी मार कर बैठें ताकि रीढ़ की हड्डी की स्ट्रेचिंग हो सके। इतनी सक्रियता हर किसी के लिए रोजाना जरूरी है, अगर हम पूरे शरीर को स्वस्थ हालत में रखना चाहते हैं।

आराम

किसी व्यक्ति को कितने आराम की जरूरत है, यह बहुत सी चीजों से तय होता है। एक अहम कारक है कि हम किस तरह का और किस मात्रा में भोजन ग्रहण करते हैं। आप यह तय कर लें कि आपके आहार का कम से कम चालीस फीसदी हिस्सा ताजी सब्जियां और फल हों, तो आप देखेंगे कि शरीर हल्का-फुल्का रहता है क्योंकि शरीर को हमेशा नींद की नहीं, बल्कि आराम की जरूरत होती है। अगर आप अपने जीवन में हर पल आराम की सक्रिय अवस्था में होते हैं, तो आपको असल में काफी कम नींद की जरूरत होगी।