कार्बन फुटप्रिंट - कैसे करें नुकसान की भरपाई
पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी के कई सारे हिस्सों में मौसमों में बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिक इन बदलावों का मुख्य कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की बढ़ती मात्रा को बता रहे हैं, और इसका समाधान हर व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना बता रहे हैं। क्या है यह कार्बन फुटप्रिंट और इसे कैसे कम करें?
पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी के कई सारे हिस्सों में मौसमों में बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिक इन बदलावों का मुख्य कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की बढ़ती मात्रा को बता रहे हैं, और इसका समाधान हर व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना बता रहे हैं। क्या है यह कार्बन फुटप्रिंट और इसे कैसे कम करें?
औद्योगिक युग के शुरुआत के साथ ही ईधन का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड भारी मात्रा में निकलने लगी । साथ ही, बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगल काटे गए, जो कार्बन सोखने का काम करते थे। आज स्थिति यह है कि जितना कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण में पैदा होती है, उसे सोखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पेड़ ही नहीं बचे हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड क्या करती है?
कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में ’ग्रीन हाउस गैस’ के रूप में काम करती है। इस का मतलब है कि वह सूर्य की गर्मी को रोक लेती है। आज धरती के तापमान को बढ़ाने में ’ग्रीन हाउस गैस’ ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। इसकी वजह से मौसम में बदलाव आए हैं - गर्मी के मौसम में गरमी बढ़ी है, बेमौसम बरसात होने लगी है, सूखे और बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ा है, सर्दी के मौसम में ठंड बढ़ी है। इन बदलावों का असर मनुष्य सहित पेड़ पौधों व पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों पर भी हो रहा है।
वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने के कारण:
हमारे द्वारा चलाए जाने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण के अलावा और भी ऐसे कई कारण हैं:
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बिजली/इलेक्ट्रिसिटीः हम जिस बिजली का इस्तेमाल करते हैं, वह ज्यादातर जीवाश्म ईंधन (जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल जैसी प्राकृतिक चीजों) से बनती है। इंधनों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है। हम जितनी ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करेंगे, बिजली के उत्पादन के लिए उतने ही ज्यादा ईंधन की खपत होगी और उससे उतना ही ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड बढे़गा।
अन्नः जो अन्न हम खाते हैं वह भी हमारे कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदान देता है। खासकर तब जब हम तैयार खाद्य पदार्थ खाते हैं, या फिर हम ऐसे पदार्थ खाते हैं जिनका उत्पादन स्थानीय तौर पर नहीं हुआ हो।
वनों का संहारः खेती योग्य जमीन, इमारतों के निर्माण, लकड़ी और खनिज को पाने के लिए हमने जंगलों और पेड़ो का विनाश किया है।
औद्योगिक उत्पादन: ज्यादातर हम जिन चीजों का उपयोग करते हैं, वे कारखानों में बनती हैं। ये चीजें फिर से न पैदा होने वाले खनिजों व धरती से निकलने वाले ईंधन के इस्तेमाल से बनती हैं। जिन्हें दूर दराज के इलाकों तक मालगाड़ियों से भेजा जाता है।
क्या आप जानते हैं कि औसतन एक शहरी साल में चार टन कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में छोड़ता है? पर्यावरण की रक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
हम क्या कर सकते हैं?
कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने का दूसरा तरीका इसको सोखना है। वृक्षारोपण इसका सबसे आसान और प्रभावशाली तरीका है। एक पेड़ अपने जीवन काल में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में बदलता है।
आप 'कार्बन-न्यूट्रल’ बन सकते हैं, इसका मतलब है कि आप अपने कार्बन फुटप्रिंट को पूरी तरह से मिटाने के लिए उतने पेड़ लगाइए, और उनकी देखभाल कीजिए, जो आप द्वारा उत्सर्जित होने वाले पूरे कार्बन डाइऑक्साइड को सोख ले।
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य तौर पर एक शहरी साल में चार टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है? पर्यावरण की रक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने का दूसरा तरीका इसको सोखना है। वृक्षारोपण इसका सबसे आसान और प्रभावशाली तरीका है। एक पेड़ अपने जीवन काल में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन और ऑक्सीजन में बदलता है।