हमारी जनसंख्या और संसाधनों से जुड़े विश्लेषण हमें यह बताते हैं कि इस धरती की बहुत सी समस्याएं हमारी बढ़ती जनसंख्या से जुडी हुई हैं...ऐसे में हम जनसंख्या को कम करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं...और हमारे ऊपर पारिवारिक और सामाजिक दबाव हो तो क्या करना चाहिए?

प्रश्नकर्ता:

सद्‌गुरु, मैंने कई बार आपको वीडियो में इन समस्याओं पर बोलते सुना है कि जनसंख्या वृद्धि ने कितना नुकसान पहुंचाया है और मैं ऐसी स्थिति में हूं, जब मुझे परिवार बढ़ाना है, मैं बहुत दुविधा में हूं क्योंकि मुझे बच्चा पैदा करने में कोई परेशानी नहीं है, मुझे बच्चा गोद लेने में भी कोई परेशानी नहीं है और बच्चा न पैदा करने में भी कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं जानना चाहती हूं कि मेरे लिए सबसे अच्छा क्या होगा। अगर मैं किसी बच्चे को गोद लेती हूं तो मैं उस बच्चे के लिए इस बात को लेकर वाकई असमंजस में हूं कि मेरा परिवार उसे उसी तरह स्वीकार करेगा या नहीं, जैसा मैं कर सकती हूं। मुझ पर अलग-अलग जगह से काफी दबाव भी पड़ रहा है।

सद्‌गुरु:

किन लोगों की ओर से?

प्रश्नकर्ता:

माता-पिता और बड़ों की ओर से।

सद्‌गुरु:

ओह।

प्रश्नकर्ता:

इसलिए मैं वाकई असमंजस में हूं।

सद्‌गुरु:

क्या आपको याद है कि जब आप बड़ी हो रही थीं, जब आपके माता-पिता.. जब आप छोटी थीं, एक छोटी बच्ची थीं और फिर आप किशोरावस्था में आईं और जैसे-जैसे बड़ी हुईं, क्या आपने देखा कि जब भी आपके माता-पिता आपकी ओर देखते थे, क्या उनकी आंखों में आनंद और खुशी के आंसू होते थे? नहीं। आपने उन्हें कैसे देखा?

 

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प्रश्नकर्ता:

गुस्से में।

सद्‌गुरु:

गुस्से में। तो वे बहुत सारी चीजों के बारे में क्रोधित, तनाव में और क्षुब्ध थे। वे बस यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप बच कर न निकल सकें। वे चाहते हैं कि आप उस सब से गुजरें। तो दबाव कोई समस्या नहीं है। यह सिर्फ ऐसा है कि.. कोई चीज आप अपने लिए करते हैं, दूसरी चीज दुनिया के लिए करते हैं। बच्चे को जन्म देना.. कृपया बैठ जाइए... ऐसा नहीं है कि बच्चे गलत होते हैं। कुछ समय पहले तक हम सब बच्चे थे। यह बात बच्चों के सही या गलत होने की नहीं है।

यह बच्चों के खिलाफ कोई अभियान नहीं है, यह हमारी आने वाली पीढ़ी के बच्चों के लिए अभियान है। अगर भावी पीढ़ियों को अच्छी तरह रहना है, तो हमें अपना जीवन चेतन होकर चलाना होगा।
यह एक बेवकूफाना सवाल है, यह सोचने की बात भी नहीं है, ठीक है, यह सोचना मूर्खतापूर्ण है कि वे सही हैं या गलत। बात सिर्फ इतनी है कि एक समय में एक स्त्री अपने पूरे जीवन में आसानी से एक दर्जन बच्चों को जन्म देती थी। हूं? और वह सामान्य बात थी। उनमें से तीन-चार मर जाते थे, सात-आठ जीवित रहते थे, वह सामान्य चीज थी। अब यहां मौजूद अधिकतर महिलाओं के शायद दो बच्चे होंगे, कुछ चूक गए और तीन बच्चे हो गए। 50, 60 से ऊपर की महिलाओं को छोड़ दीजिए – कम उम्र की महिलाओं में क्या कोई है जिसके चार, पांच बच्चे हों? कोई नहीं, है न? लेकिन अगर आप यह सवाल 50 साल पहले पूछते, तो 30 की उम्र के आस-पास की किसी भी महिला के पांच या छह बच्चे होते।

 

 

तो कहीं न कहीं आपने अपनी बुद्धि लगाई और फैसला किया कि छह की बजाय दो या एक ही बच्चे पैदा करते हैं। तो अगर आपकी बुद्धि उस हद तक काम कर सकती है, तो अभी हम ऐसी स्थिति में हैं जहां अगर हमें इन सात अरब लोगों का पेट भरना पड़े, उन्हें कपड़े पहनाने पड़ें और एक गरिमापूर्ण जीवन देना हो - तो हम जो स्तर चाहते हें, अधिकतर लोग जिस तरह का स्तर चाहते हैं, उसके लिए हमें कम से कम तीन और पृथ्वियों से अपने संसाधन मंगाने की जरूरत पड़ेगी। हमें कम से कम तीन और ग्रहों की जरूरत पड़ेगी। हम ऐसा कर सकते थे, बात सिर्फ इतनी है कि उनका अस्तित्व ही नहीं है। अगर वे होते, तो कोई समस्या नहीं थी, हम जाकर एक ग्रह को अपने करीब खींच लाते और उस ग्रह का इस्तेमाल करते, लेकिन कोई और पृथ्वी है ही नहीं। तो जब तक हमें ऐसा कोई ग्रह नहीं मिल जाता, अच्छा यह रहेगा कि आप अपने प्रजनन को नियंत्रित रखें। जब तक हमें अतिरिक्त ग्रह नहीं मिल जाते, जहां हम अपने लोगों को भेज सकें, अपने प्रजनन पर काबू रखना अच्छा रहेगा, वरना इस ग्रह पर कोई भी खुशहाली में नहीं रह पाएगा। चाहे आप कोई भी तकनीक ले आएं, चाहे आप कुछ भी करें, अगर आप इसी तरह बढ़ते रहे तो कोई भी इस ग्रह पर खुशहाली में नहीं रह पाएगा।

 

 

अब संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि 2050 तक, हम 9.6 अरब लोग होंगे। 9.6 अरब लोगों में, अगर मौजूदा दर पर या उससे भी अधिक दर पर पृथ्वी का दोहन किया जाए, तो भी हममें से हर किसी को वर्तमान के मुकाबले 40 फीसदी कम संसाधनों के साथ रहना होगा। जब मैं संसाधन कहता हूं, तो विलासिता की चीजों के बारे में मत सोचिए – मैं भोजन, पानी, हवा के बारे में बात कर रहा हूं – आपको 40 फीसदी कम संसाधनों के साथ गुजारा करना होगा, इसका मतलब है कि कोई भी खुशहाली में नहीं रहेगा। है न? केवल कुछ लोग जिनका कुछ चीजों पर नियंत्रण होगा, वे ठीक से रहेंगे, बाकी सब बहुत दुखी होंगे। और हम ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं कि अगले 20 सालों में किसी का भी गर्भवती होना एक अपराध की तरह है। यह ज्यादती लग सकती है। या तो आप अपनी इच्छा से इसे नियंत्रित करें या प्रकृति बहुत क्रूर तरीके से उसे नियंत्रित करेगी, आप समझते हैं? लाखों लोग बहुत ही क्रूर तरीके से मारे जाएंगे। तो आपके पास सिर्फ यही विकल्प है – इनसानों के रूप में या तो आप अपनी इच्छा से नियंत्रण करें वरना प्रकृति बहुत क्रूर तरीके से नियंत्रण करेगी। क्या पृथ्वी संकट में है? पृथ्वी खतरे में नहीं है, इनसानी जीवन खतरे में है। इनसान अगर पर्याप्त जागरूक हो जाए और इस पर काबू पा ले, तो वह अच्छी तरह रह सकता है, लेकिन फिर हमारे पास ये दो प्यारे-प्यारे बच्चे नहीं होंगे। हूं?

 

हां, हर बार जब हम किसी बच्चे को खेलते देखते हैं, तो हम सोच सकते हैं, ‘अरे, अगर हम नियंत्रण के बारे में सोचते, तो ये बच्चे नहीं होते!’ मैं आपको बताता हूं, मैं चाहता हूं कि आप जाकर गांवों में देखें, झुग्गियों में कुपोषण के कारण तोंद निकले बच्चों को देखें, उनके चेहरे की सारी सुंदरता – वहां कोई सुंदरता नहीं है, यह बहुत दयनीय बात है। अगर बच्चों को ठीक से खाना न मिले, अगर उनकी देखभाल न हो जाए, तो उनमें कुछ भी सुंदर नहीं रहता। कुपोषित बच्चे, जिस बच्चे की देखभाल नहीं होती, उसे देखना दयनीय, दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है, उसमें कुछ भी सुंदर नहीं होता, और आप धरती पर ऐसे लाखों बच्चों को देख सकते हैं। है न? तो सिर्फ व्यक्तिगत चाह से चीजें करने का बोझ अब मानवता नहीं उठा सकती। अब समय है कि इन्सान जागरूक हो, कि सिर्फ शून्य फीसदी विकास पर पहुंचना काफी नहीं है, हमें माइनस में जाना होगा, यह अंदाजा लगाने की बजाय कि 2050 तक हमारी जनसंख्या 9.6 अरब होगी, क्यों नहीं हम यह ठान सकते कि 2050 तक हमारी जनसंख्या 3.5 या चार अरब होगी।

 

 

अगर आप इस पृथ्वी पर चार अरब की संख्या तक सीमित हो जाएं, तो आपकी सभी पर्यावरण संबंधी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

इंसानी जीवन जीने का मतलब है, सब कुछ चेतन होकर करना। लोग बच्चा पैदा करने को बाध्य क्यों हो जाते हैं? एक तो यह एक जैविक चीज है। जैविक रूप से बच्चा पैदा करना कोई खुशनुमा अनुभव नहीं है। मैं आपको बताता हूं, अगर आपको मुझ पर यकीन नहीं है तो किसी ऐसी महिला से पूछिए जिसने बच्चे को जन्म दिया है।

बच्चों के प्रति प्रेम होने से संतुष्टि सिर्फ इसलिए मिलती है, क्योंकि आप किसी चीज़ (बच्चों के प्रति प्रेम) में पूरे जुड़ाव के साथ शामिल होते हैं।

जब तक हमें अतिरिक्त ग्रह नहीं मिल जाते, जहां हम अपने लोगों को भेज सकें, अपने प्रजनन पर काबू रखना अच्छा रहेगा, वरना इस ग्रह पर कोई भी खुशहाली में नहीं रह पाएगा।
यह किसी चीज को अपने एक हिस्से के रूप में देखने की संतुष्टि है। अगर आप चाहें, तो आप अपनी जिन्दगी में किसी भी चीज में इस संतुष्टि को महसूस कर सकते हैं। अगर आप अपने जीवन में किसी चीज के प्रति समर्पित और जुड़े हुए हैं, तो वह संतुष्टि अपने आप आती है। जैसा कि आप खुद कह रही हैं, आपने अपने माता-पिता के चेहरों पर संतुष्टि नहीं देखी, जब वे आपको देखते थे, आपने बेचैनी देखी, आपने गुस्सा देखा, आपने निराशा देखी। वे अपनी बाध्यता के कारण ऐसा बोल रहे हैं, वे होशोहवास में सुखी होकर नहीं बोल रहे हैं। उन्होंने ऐसा किया, सिर्फ इसलिए उन्हें लगता है कि आपको ऐसा करना चाहिए। आपको वे सभी गलतियां करने की जरूरत नहीं है, जो उन्होंने कीं।

 

यह बच्चों के खिलाफ कोई अभियान नहीं है, यह हमारी आने वाली पीढ़ी के बच्चों के लिए अभियान है। अगर भावी पीढ़ियों को अच्छी तरह रहना है, तो हमें अपना जीवन चेतन होकर चलाना होगा। अपने जीवन को जागरूकता में चलाने का एक मुख्य भाग यह है कि फिलहाल आप पृथ्वी को विस्तृत नहीं कर सकते, इसलिए आपको जनसंख्या को घटाना होगा, कोई दूसरा तरीका नहीं है। या तो आप इसे करें या प्रकृति करेगी। जब प्रकृति ऐसा करती है, तो वह अच्छा नहीं होता, वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता।