साउंड्स ऑफ़ ईशा की यह नवीनतम प्रस्तुति, उनके द्वारा गुरु पूर्णिमा के दिन भेंट की गयी थी। आइये सुनते हैं ये गीत ...
ज्यादातर लोगों के लिए उनके रिश्ते ही उनके जीवन के अनुभव का मुख्य पहलू होते हैं। हमारा सबसे करीबी रिश्ता हमारे माता पिता के साथ होता है। माता पिता पर हमें इतना भरोसा होता था, कि हम उनके हाथों में सो जाते थे। बढ़ती उम्र के साथ हो सकता है, हमने कई और अन्तरंग रिश्ते बनाएं हों। पर जो सबसे अन्तरंग रिश्ता हम बना सकते हैं, वो है गुरु के साथ रिश्ता। गुरु, हमारे जीवन को, हमारी समझ से परे के आयामों में स्पर्श कर सकते हैं। गुरु की उपस्थिति पर कभी कोई संदेह नहीं होता, पर साथ ही ये उपस्थिति हमारे समझ से परे भी है।
सद्गुरु कहते हैं कि गुरु एक व्यक्ति नहीं, एक संभावना है। वे हमें समझाते हैं कि गुरु की भौतिक उपस्थिति तक लोगों की पहुँच सीमित हो सकती है, पर अगर किसी में जानने की तीव्र इच्छा है, तो वो इस गुरु रुपी संभावना तक पहुँच सकता है। एक बार ये संभावना हमारे जीवन में अभिव्यक्त होना शुरू हो जाए, तो फिर किसी एक दिशा में जाने की जरुरत नहीं होती। गुरु हर जगह उपलब्ध होते हैं। हर सांस में और हर चीज़ में - सब कुछ तुम हो सद्गुरु।
गुरु गोविन्द दोनों खड़े
काके लागूं पाए
बलिहारी गुरु आपणी
जिन गोविन्द दियो बताये
मात पिता तुम मेरे
मेरे प्रभु मेरे गुरु
जो है और जो है नहीं
सब कुछ तुम हो सद्गुरु
मां ने दिया जनम
पिता ने दिया है नाम
अनदेखी एक दिशा
बुलाती सुबहो शाम
हर दिशा में अब तुम ही
किस दिशा को नमन करूँ
जो है और जो है नहीं
सब कुछ तुम हो सद्गुरु
सांसों की ये डोर
अभी शुरू अभी खत्म
ये डोर पकड़ तुम तक आ जाऊँ
अब करूँ यही जतन
हो गया है जिसका अंत
और हुआ जो नहीं शुरू
जो है और जो है नहीं
सब कुछ तुम हो सद्गुरु
संपादक की टिप्पणी:
इस गीत को डाउनलोड करने के लिए - https://www.ishashoppe.com/downloads/portfolio/maat-pita-tum-mere-mp3-song/