यह लहर है उस आनंद की जो हम सबके अंदर हिलोरें लेता है। पर हम में से कई इस से वाकिफ नहीं हैं। आप वाकिफ हों या न हों, यही वक्‍त है इस हिलोरे पर थिरकने का। अगर एक बार आपने इस आनंद को चख लिया तो फिर आपके अंदर एक खोज शुरू होगी- इस लहर के स्रोत की। तो आइए दखते हैं यह वीडियो और झूमते हैं…तंदानाने तने तन तंदाना   आहो! आहो!!

अलै अलै ’ – ये बोल हैं उस गाने के जो भारत की एक बड़ी आबादी को अपनी धुन में बहा ले गया। इतना ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों को अपनी धुन में रमा कर इस गाने ने हजारों लोगों को आध्यात्मिकता की कम-से-कम एक बूंद तो पिलाई ही है। यह गाना लिखा गया था सद्‌गुरु के महासतसंग-माला – ‘आनंद अलै’ के लिए। चूंकि सद्‌गुरु ने महासत्संगों को ‘आनंद अलै’ नाम दिया था, इसलिए ये सोचा गया कि अलै के बारे में एक गाना रचा जाए; अलै का मतलब होता है लहर। जाहिर है दूसरों के मुकाबले एक मछुआरा ‘अलै’ के ज्यादा करीब होता है, उससे ज्यादा लगाव महसूस करता है, क्योंकि उसकी जिंदगी लहरों के भरोसे होती है। इसीलिए यह गाना मछुआरों का गाना बन गया।

 ‘इस दुनिया के लिए जो सबसे उत्‍तम चीज आप कर सकते हैं, वह है खुश रहना। खुद को आनंदपूर्वक रखना ही इस दुनिया को दिया गया सबसे बड़ा तोहफा है। आपका शरीर और दिमाग तभी उत्‍तम ढंग से काम करते हैं और पूरी तरह से खुद को व्यक्त करते हैं, जब आप खुश और शांत रहते हैं।' - सद्‌गुरु

यह सुनामी की भी याद दिलाता है, जिसने हमारे दिलो-दिमाग पर एक गहरी छाप छोड़ी थी, जिसकी झलक गाने में भी देखने को मिलती है। सुनामी की विशाल लहरें, इंसानों के लिए तो एक महाविनाश का संदेश थी, लेकिन मछलियां समुद्र की गहराई में आराम से सुरक्षित अठखेलियां कर रही थीं। इसने हमें सिखा दिया कि अगर हमारी जड़ें अपने भीतर गहराई तक जमी हों, तो जीवन का बाहरी सतह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कोरस में अपनी आवाज दे कर पूरे आश्रम ने इस गाने की रचना में अपना हाथ बंटाया और इसका भरपूर आनंद उठाया। आइए देखते हैं यह वीडियो...

 

 

अलै अलै अलै अलै अलै अलै
अलै अलै अलै अलै अलै अलै 

लहर

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मनम दिनम अद ओडुदे
सुगम तनइ अद थेडुदे
उइरिन उरव उनरंदिडामले 

खुशी की खोज में
मन दौड़ता है
जीवन की प्रकृति को बिना समझे।

येलेलो आईलेसा येलेलो

नितिथिली मीन पोल आसै (आहो)
तिमिंगलम पोल अधुवम पेसै

आपकी इच्छा बस एक छोटी मछली की तरह है (आहो)
पर यह बढ़ कर व्हेल जितनी बड़ी हो जाती है (आहो)

तिमिंगलम तान पुडिच नाने वंद पिन्नुम
नितिथिली वासइम इन्नुम पेसै ( आहो आहो )

और व्हेल पकड़ने के बाद भी
आप एक और छोटी मछली चाहते हैं (आहो! आहो!! )

कात अडिकुदमा
ओडम असईयुतमा
आसई अलैगलिन मेले

हवा चलती है
कश्ती डोलती है
इच्छा की लहरों के उपर

उल्लम तुडीकुदमा
वालल्‍कइ नडक्‍कदमा
आसई अलै गलिनाले

दिल धड़कता है
जिंदगी चलती है
इच्छा की लहरों की वजह से

तंदानाने तने तन तंदानाने
तंदानाने तने तन तंदानाने (तमिल लोक संगीत)

अलैगल इल्लम कडलिन मेले ताने
कडलकुल्ले मींगल सुदनदिरम ताने

लहरें केवल सागर की सतह पर हैं
सागर की गहराई में मछलियां आजाद हैं

आसई एल्लम मनदिन मेलै ताने
उल्लतुल्‍ले आनंद तांडवम ताने

इच्छाएं केवल मन की सतह पर हैं
बहुत गहराई में सिर्फ परमानंद का नृत्य है

उनरंदाले तन उनकुल आनंदम ताने
अलैगल एलाम आनंद अलैगल ताने

जब आप यह जान लेंगे, आप आनंदित हो जाएंगे
और तब हर लहर बस आनंद की लहरें होंगी।

येलेलो आईलेसा येलेलो (तमिल लोक संगीत)

अलै अलै अलै अलै अलै अलै
अलै अलै अलै अलै अलै अलै 

 - साउंड्स ऑफ़ ईशा 

 

अलै– वेव ऑफ ब्लिस” एलबम खरीद कर ईशा फाउंडेशन और हमारी सामाजिक परियोजनाओं में हाथ बंटाइए। इसकी कीमत आप खुद तय कीजिए!