"भारतीय शास्त्रीय संगीत, अस्त्तिव से गुजरने के लिए ध्वनि को एक मार्ग के रूप में अपनाने का एक खूबसूरत तरीका है।" - सद्‌गुरु 

'यक्ष' ईशा योग केंद्र में मनाया जाने वाला सात दिन का सांस्कृतिक उत्सव है। यहां हम भारत की सांस्कृतिक विरासत -  शास्त्रीय संगीत, नृत्य और शास्त्रीय वादन - आपके लिए ले कर आते है। इस उत्सव में देश के मशहूर कलाकार हर शाम अपनी प्रस्तुति देते हैं। 

इस वर्ष यह त्यौहार 10 फरवरी को शुरू हुआ...  पहले तीन दिनों की झाकियां यहां देखें।


सभी प्रदर्शनों को नि:शुल्क लाइव-स्ट्रीम किया जा रहा है। आइये जानते हैं दिन 4 से दिन 7 की प्रस्तुतियों के बारे में... 

पंडित राजन और साजन मिश्रा – हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन – 13 फरवरी

हिन्दुस्तानी खयाल गायन के गायक, पदम् भूषण पंडित राजन मिश्रा और साजन मिश्रा का जन्म 300 साल पुरानी परंपरा वाले संगीतज्ञों/संगीतकारों के परिवार में हुआ था। वे बनारस घराने से ताल्लुक रखते हैं, और उनके अनुसार - "ऐसा लगा मानो जीवन की पहली सांस के साथ ही तालीम शुरू हो गयी हो" यह जोड़ी पहले भी आश्रम आ चुकी है। हमारी ब्लॉग टीम के साथ हुई बातचीत में साजन मिश्रा ने बताया - "यह जगह इतनी खूबसूरत है... कि ऐसी और कोई जगह ही नहीं है!"

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इन्होने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत राग श्री में रचित "प्रभु के चरण कमल" नाम की आराधना से की। प्रस्तुति की शुरुआत से पहले पंडित राजन जी ने दर्शकों को बताया - "ऐसा मना जाता है कि यह राग भगवान शिव ने रचा है"

इसके बाद इन्होंने भगवान शिव के गुणगान करती एक और बंदिश "शंकर भोले महेश्वर" प्रस्तुत की।

उस्ताद सईदुद्दीन – हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन – 14 फरवरी

संगीत की दुनिया वाकई विचित्र है - जैसे जैसे संगीतकार की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे ही उनके संगीत की मिठास भी बढ़ती जाती है। उस्ताद सईदुद्दीन – हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक की प्रस्तुति से हम सभी मंत्र-मुग्ध हो गए। वाकई कुछ अजीब थी आज की शाम।

यक्ष का पांचवा दिन हमें हिन्दुस्तानी गायन की एक गहन शैली - ध्रुपद गायन - का अनुभव करने का मौक़ा दे रहा है। उस्ताद सईदुद्दीन डागर, प्रख्यात डागर घराने से ताल्लुक रखते हैं, जो कि ध्रुपद गायन में सबसे प्रसिद्द घरानों में से एक है। 

सईद साहब ईशा योग केंद्र में पहली बार नहीं आये हैं - उन्होंने साल 2010 में आयोजित सबसे पहले यक्ष उत्सव में भी भाग लिया था, और साथ ही उस साल महाशिवरात्रि महोत्सव में भी प्रस्तुति दी थी। उन्होंने हमसे पंच भूत आराधना में भाग लेने की यादें साझा की, और हमें बताया कि वे यहां फिर से आकर बहुत खुश हैं।

उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत राग जैतश्री में रचित गणेश श्लोक से की। यह राग शाम से जुड़ा हुआ है और इसे कम ही सुनने को मिलता है। उस्ताद जी ने श्रोताओं को  बताया - "यह राग मेरे पिताजी का सबसे प्रिय राग है, और यह रचना भक्ति और भावों से भरपूर है। मैं इस राग का रियाज़ 45 सालों से कर रहा हूँ, और मैंने इसे पहली बार सिर्फ 3 साल पहले प्रस्तुत किया।"

प्रसिद्द तबला वादक मोहन श्याम शर्मा, पखावज पर सईद साहब का साथ देने के लिए मौजूद थे। गायन में उनका साथ उनके बेटों अनीसुद्दीन डागर और नफीसुद्दीन डागर ने दिया - ये दोनों डागर घराने की अगली पीढ़ी हैं।

श्री गणेश और श्री कुमारेश – वायलिन – 15 फरवरी

हम इन दोनों भाइयों को आधुनिक कलाकारों के रूप में जानते हैं। दोनों भाई चार दशकों से परफार्म कर रहे हैं, और उनका एक दूसरे के साथ तालमेल बिलकुल स्पष्ट नज़र आ रहा था। उनका दिलकाश अंदाज़ ने प्रस्तुति की शुरुआत से ही सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। उनके संगीत की विविधता और प्रस्तुति के बीच किये  गए फेरबदलों से दर्शकों के बीच उत्साह की एक लहर देखने को मिली।

विदुषी बांबे जयश्री – कर्णाटक शास्त्रीय गायन – 16 फरवरी

शास्त्रीय संगीत में अपने योगदान के अलावा, बांबे जयश्री ने डांस बैले और डॉक्यूमेंट्रीज के लिए संगीत भी तैयार किया है। आध्यात्मिक संगीत और असाधारण गीतों के उनके खजाने से बहुत से एलबम निकले हैं। साथ ही उन्होंने दुनिया भर में बेहिसाब लाइव प्रस्तुतियां दी हैं। दर्शकों को उनका परिचय देने की आवश्यकता नहीं थी। यक्ष के आखिरी दिन की यह आखिरी प्रस्तुति थी। कर्णाटक संगीत के प्रेमियों में उनके ढेर सारे प्रशंसक हैं।

इसके बाद सभी लोग देवी महा आरती के लिए ध्यानलिंग के आगे इकट्ठे हुए।

संपादक की टिप्पणी: इस वर्ष ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि महोत्‍सव 17 फरवरी को मनाया जा रहा है। सद्‌गुरु के साथ रात भर चलने जाने वाले इस उत्सव में सद्‌गुरु के प्रवचन और शक्तिशाली ध्यान प्रक्रियाओं के साथ-साथ जिला खान और पार्थिव गोहिल जैसे कलाकारों के भव्‍य संगीत कार्यक्रम भी होंगे। आस्‍था चैनल पर सीधे प्रसारण का आनंद लें शाम 6 बजे से सुबह सुबह 6 बजे तक।  

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