गणतंत्र दिवस के अवसर पर पेश है साउंड्स ऑफ़ ईशा का नया रिलीज़ –‘वन्दे-मातरम’। इसमें बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के लोकप्रिय गीत ‘वन्दे मातरम’ का एक अंश प्रस्तुत किया गया है।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय एक कवि, देशभक्त व स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जन्म बंगाल में हुआ था। उनकी यह कविता और देशभक्ति गीत ने भारत की आज़ादी के आन्दोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस गीत को पहली बार रबिन्द्रनाथ टैगोर ने सन 1896 के इंडियन नेशनल कांग्रेस अधिवेशन में गाया था। बाद में सन 1950 मे आज़ादी के बाद इस गीत को राष्ट्रीय-गीत का दर्जा दिया गया।
यह गीत गणतंत्र दिवस के अवसर पर, 26 जनवरी 2014 को सद्गुरु दर्शन में पहली बार साउंड्स ऑफ़ ईशा ने प्रस्तुत किया था। आइये सुनते है यह राष्ट्र-गीत ...
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यशामलाम्
मातरम्।
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम् ||
।। १।। वन्दे मातरम्।
अनुवाद
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फसलों के साथ गहरी,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।