मकर संक्रांति : आइए करें सूर्य के स्वागत की तैयारी
आज मकर संक्रांति है। जानते हैं कि सूर्य की बढ़ती प्रचंडता की वजह से हम परेशान होने लगते हैं, लेकिन जरुरत है ऐसा माहौल बनाने की जहां हम अपने जीवन के स्रोत का लाभ उठा सकें।
सद्गुरु: आज मकर संक्रांति है। "मकर" का अर्थ है शीतकालीन समय या ऐसा समय जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में सबसे नीचे होता है। "संक्रांति" का अर्थ है गति।
सूर्य हमारे जीवन का आधार है
यह मकर संक्रांति है। इसका मतलब सूर्य - जो इस ग्रह पर हमारे जीवन का स्रोत है - के साथ हमारा संबंध बदल रहा है। जब मैं कहता हूं कि सूरज के साथ संबंध बदल रहा है, तो मेरा मतलब उन लोगों से है जो मुंबई, दिल्ली, देश के अन्य बड़े शहर व हिस्सों में गर्मी, पानी की कमी, बिजली कटौती का डर, और अन्य कई असुविधायें से डरे हुए हैं। आप लोगों को यह समझना चाहिए कि हम इस के साथ अपने जीवन के स्रोत से नाराज़ होना शुरू कर देते हैं। हम सभी सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं। इस ग्रह का हर एक पौधा, पेड़, कीट, कीड़ा, पुरुष, महिला, बच्चा, हर दूसरा प्राणी सौर ऊर्जा से संचालित होता है। सौर ऊर्जा कोई नई तकनीक नही है, हम सभी सौर ऊर्जा से संचालित हैं, लेकिन इस संस्कृति में हम साल के इस नए पड़ाव का स्वागत करते हैं, जब हमारे पास सर्वाधिक सौर ऊर्जा होती है। हम इसे ‘मकर संक्रांति’ के रूप में मनाते हैं। लेकिन आज हम इससे डरते हैं। ऐसा नहीं की सूर्य हमारे खिलाफ हो गया है। सूर्य हमारे अस्तित्व का आधार है, पर हम इससे इसलिए डर रहे हैं क्योंकि सूर्य जब अपनी पूरी महिमा में आने लगता है, तो हमारे पास बैठने के लिए एक पेड़ भी नही होता है।
अपने जीवन के स्रोत से जुड़ने के लिए माहौल बनाना होगा
हमने इस धरती को तबाह कर दिया है। हमने अपनी खोज में इस देश का हाल भी बेहाल कर दिया है।
भावी पीढ़ियों को गर्मियों का स्वागत करने में सक्षम बनाना होगा
तो, इस मकर संक्रांति मैं चाहता हूं कि आप सभी अपने जीवन में इसे अपनाएं। आप जिस भी क्षमता से इसे कर सकते हैं करें, हमें अपने आप में पर्याप्त सक्षम होना होगा। इस देश की भावी पीढियाँ आने वाली गर्मी का स्वागत करने एवं आनंद लेने के लिए पर्याप्त सक्षम होनी चाहिए। यह केवल तभी संभव है जब हम प्रकृति में एक अनुकूल माहौल बनाएँ जहां धरती वनस्पतियों, जल संसाधनों से समृद्ध और मिट्टी में पानी को सोखने में सक्षम हो। केवल तभी हम सही मायने में मकर संक्रांति का जश्न मना सकते हैं। आपको मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनाएँ। सूरज को तो हर हाल में आना ही है। इकलौता सवाल बस यह है कि आप इसे संभालने के लिए तैयार हैं या नही। आइए हम मिलकर इसे संभव बनाते हैं।
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