महाशिवरात्रि 2017 - माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदियोगी का लोकार्पण
इस वर्ष ईशा में महाशिवरात्रि विशेष रूप से भव्य थी - इस बार आदियोगी शिव के 112 फीट ऊँची चेहरे का लोकार्पण किया गया। इसका लोकार्पण माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। देखते हैं आदियोगी के लोकार्पण और रात भर चले उत्सवों की कुछ झलकें
आदियोगी शिव का 112 फीट ऊँचा चेहरा
योग के माध्यम से विश्व को मुक्ति और कल्याण का मार्ग दिखाने वाले, योग के मूल दाता, आदियोगी शिव की भव्य मौजूदगी अब दुनिया के सामने है। महाशिवरात्रि 2019 के मौके पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सद्गुरु की उपस्थिति में ईशा योग केंद्र परिसर में आदियोगी के 112 फीट ऊंचे दिव्य चेहरे का अनावरण कर उसे दुनिया को समर्पित कर दिया। यह प्रतिष्ठित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है तथा उन 112 तरीकों को इंगित करता है, जिनके जरिये इंसान अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है।
धातु से तैयार ध्यानमुद्रा में आदियोगी शिव के चेहरे की सुंदरता, भव्यता व चेहरे पर छाई निश्चलता सहज रूप से मानव को अपनी ओर आकर्षित करती है। आदियोगी शिव के चेहरे का अनावरण करने प्रधानमंत्री खासतौर से कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र पहुंचे थे।
माननीय प्रधानमंत्री ने ईशा योग केंद्र का भ्रमण किया
माननीय प्रधानमंत्री के ईशा योग केंद्र में पहुंचने पर सद्गुरु ने अदियोगी के चेहरे वाली नीले रंग की शाल पहना कर उनका स्वागत किया। फिर सद्गुरु माननीय मोदी जी को ईशा योग केंद्र के तमाम महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित स्थानों को दिखाने ले गए। माननीय प्रधानमंत्री सबसे पहले ईशा योग केंद्र स्थित सूर्य कुंड गए।
जमीनतल से 22 फीट नीचे 130 फीट लंबे व 40 फीट चैडे़ इस जल कुंड को जल में डूबे तीन रसलिंगों से ऊर्जान्वित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कुंड के जल से सर्वप्रथम आचमन किया। फिर वह नागमंडप की और गए, जहाँ सद्गुरु ने उनके हाथ पर रक्षासूत्र बांधा। माननीय मोदीजी ने पूरे कुंड का मुयायना किया।
सूर्य कुंड के बाद माननीय प्रधानमंत्री ईशा केंद्र स्थित ध्यानलिंग मंदिर गए। उन्होंने सबसे पहले ध्यानलिंग पर पुष्प चढ़ाए और आरती कर ध्यानलिंग की परिक्रमा की। फिर सद्गुरु व प्रधानमंत्री की मौजूदगी में पंच भूत आराधना संपन्न की गई।
यह आराधना मानव शरीर में मौजूद पांच तत्वों के शुद्धिकरण की प्रक्रिया है, जिसे योग में भूत-शुद्धि कहते हैं। सृष्टि का सारी रचना का आधार पांच बुनियादी तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश ही हैं। इन तत्वों के शुद्ध होने पर शरीर और मन में स्थिरता आती है। 13 फीट 9 इंच ऊंचे ध्यानलिंग की विशेषता है कि इसमें मौजूद सभी सातों चक्र की ऊर्जा अपने चरम बिंदु पर हैं।
ध्यानलिंग के ठीक सामने नंदी बैल विराजमान है, योगिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नंदी शाश्वत प्रतीक्षा का प्रतीक है, भारतीय संस्कृति में शाश्वत प्रतीक्षा को विशेष महत्व दिया गया है।
ध्यानलिंग के बाद सद्गुरु माननीय प्रधानमंत्री को लिंग भैरवी मंदिर भी ले गए। जहां उन्होंने लिंग भैरवी देवी के दर्शन किए। मंदिर के प्रांगण में स्थित वट वृक्ष पर जल चढ़ा कर उन्होंने सर्प सेवा की और देवी की आरती में भाग लिया। लिंग भैरवी सृष्टि के सृजनात्मक और पालनहार पहलू को दर्शाती हैं।
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ईशा केंद्र से महाशिवरात्रि के आयोजन स्थल तक माननीय मोदी जी सद्गुरु के साथ पहुंचे।
सद्गुरु ने आम इंसान को योगी बनाया– प्रधानमंत्री मोदी
आदियोगी के चेहरे के अनावरण के मौके पर दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय संस्कृति में शिव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वह सिर्फ देव ही नहीं महादेव हैं। उनका कहना था कि भारतीय संस्कृति में विविधता में एकता का जो भाव नजर आता है, वह कहीं न कहीं शिव से प्रेरित है। शिव के परिवार व उनके वाहनों का उदाहरण देते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि शिव के परिवार में विविधता है, फिर भी उसमें एकता नजर आती है, जो अपने आप में बेहद जीवंत है।
तमिलनाडु में पहुंचे प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद देश विदेश से आए श्रद्धालुओं व ईशा साधकों को तमिल में अभिवादन कर संबोधित किया। उनका कहना था कि महाशिवरात्रि की रात दिव्यता के साथ एकाकार की रात है। यह व्यक्ति की पर्यावरण व प्रकृति के साथ संयोजन की रात है। प्रधानमंत्री ने शिव के साथ अपने रिश्ते को रेखांकित करते हुए कहा कि वह सोमनाथ से काशी पहुंचे।
अपने संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री योग को दुनिया को उपलब्ध कराने के लिए सद्गुरु और ईशा के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि सद्गुरु ने योग को न सिर्फ एक आम इंसान से जोड़ा है, बल्कि एक इंसान को योगी बनाने की शुरुआत की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले समय में योग की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आने वाले समय में योग से एक नए युग की शुरुआत की जा सकती है। योग व्यक्ति में सबको साथ लेकर चलने का भाव जगाता है। योग से ऐसा युग लाया जा सकता है, जहां आपसी प्रेम, शांति, भाईचारा और मानव की बेहतरी का भाव हो।
सद्गुरु का संबोधन
आदियोगी शिव के महत्व के बारे में बताते हुए सद्गुरु ने कहा, ‘आज यह बहुत महत्वपूर्ण हो गया है कि दुनिया में मानवता की अगली पीढ़ी किसी मत में विश्वास करने वाली नहीं, बल्कि खोज करने वाली हो। वे सभी फिलासफी, मत, विचारधारा या विश्वास प्रणाली जो वैज्ञानिक तथ्य पर आधरित नहीं हैं, जो तर्क पर खड़े नहीं उतरते, वे आने वाले दशकों में ढहते जाएंगे, और लोगों में मुक्ति की चाहत बढ़ती जाएगी। जब यह चाहत बढ़ेगी तब आदियोगी शिव और योग विज्ञान की अहमियत भी काफी बढ़ जाएगी।’
महाशिवरात्रि की रात की प्रस्तुतियां :
कैलाश खेर
एक साधारण परिवार से एक प्रतिष्ठित पॉप स्टार, बॉलीवुड के पार्श्वगायक और टेलीविजन सेलिब्रिटी तक कैलाश खेर का सफर उनकी दमदार और सम्मोहक आवाज का प्रमाण है। वह आज भारतीय संगीत के सबसे अनूठे गायकों में से एक हैं। विदेशों में काफी पसंद किए जाने वाले भारतीय कलाकारों में एक खेर का संगीत शास्त्रीय, पॉप और सूफी संगीत का एक मिश्रण है। इतने सालों में उनके बैंड ने अपने ट्रेडमार्क सूफी परंपरा के प्रभावों के साथ-साथ दुनिया भर के तत्वों, मस्ती, नई उम्र के और नृत्य संगीत वाले गाने बनाए हैं। उनकी अनोखी आवाज ने उन्हें भारत और दुनिया भर में खूब लोकप्रिय बनाया है और उन्होंने अपने श्रोताओं के बीच अपनी एक जगह बनाई है। यह बैंड वाद्य यंत्रों और सुरों के चयन में काफी नए प्रयोग करता है।
कुतले खान के साथ राजस्थान रूट्स
राजस्थान रूट्स के दुनिया भर में ढेर सारे प्रशंसक और श्रोता हैं। यह लोक गायन में फ्यूजन की अनूठी प्रस्तुति और राजस्थान के पारंपरिक गीतों और संगीत को पश्चिमी वाद्य यंत्रों तथा तालों के साथ बहुत सहजता से मिश्रित करने के लिए मशहूर है। उनकी प्रस्तुतियों में समय के बंधन से मुक्त सूफी की व्यापक प्रस्तुतियों के साथ लोकप्रिय लोक गीतों से लेकर उनके द्वारा रचे गया गाने तक शामिल हैं। वे नए लोकसंगीत, ब्लूज, फंक और इलेक्ट्रोनिका के मिश्रण से लोक संगीत को एक बहुसांस्कृतिक मंच पर लाते हुए राजस्थान की मंच कलाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। किसी संगीतकार को सभी सीमाओं को मिटाते हुए प्रयोग करने और संगीत रचने की आजादी दी जाती है।
कुतले खान 15 साल से अधिक समय से भारत और विदेशों में प्रदर्शन कर रहे हैं। वह राजस्थान के मांगणियार समुदाय के हैं, जो पारंपरिक हिंदुस्तानी और सूफी संगीत को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मशहूर हैं। उनके पारंपरिक राजस्थानी लोक संगीत पर पश्चिमी प्रभाव है और वह लयात्मक रूप से जटिल संगीत-संयोजन के लिए जाने जाते हैं।
नृतारुत्य
नृतारुत्य बंगलौर का एक भारतीय कंटेंपररी या नए युग का डांस ट्रस्ट है, जो भारतीय विचारधाराओं से प्रेरणा लेते हुए नृत्य के अनूठे प्रयोग करता है। नृतारुत्य का लक्ष्य है कि आधुनिक समय में भारतीय नृत्य अनूठे तरीकों से समझा और अनुभव किया जाए। यह डांस ट्रस्ट भारतीय नृत्य को बढ़ावा देने के लिए नृत्य सिखाता है और जगह-जगह जाकर प्रस्तुतियां देता है। खुद कंपनी द्वारा आयोजित प्रस्तुतियों में नृतारुत्य द्वारा प्रतिभाशाली युवा नर्तकों को मौका दिया जाता है। नृतारुत्य शहरी जीवन शैली, शारीरिक (मार्शल, डांस और मूवमेंट) परंपराओं और प्रस्तुतिकरण से उभरती नई भारतीय नृत्य भंगिमाओं की समझ को प्रोत्साहित करता है।
रॉकीज़ ट्रुप
रॉकीज़ ट्रुप प्रतिभावान युवाओं की ऐसी मंडली है, जो कला प्रदर्शन के माध्यम से एक दूसरे को सशक्त बना रही है, और अपनी सांस्कृतिक विरासत को लुप्त होने से बचा रही है। ये युवा युगांडा के अलग-अलग क्षेत्रों से, और सुविधाओं से वंचित पृष्ठभूमियों से सम्बन्ध रखते हैं। रॉकीज़ ट्रुप ने पूरे युगांडा में अलग-अलग मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दी हैं, जिनमें मिलेज विश्व संगीत उत्सव शामिल है। उन्होंने अपने संगीत के द्वारा कई सारे कलाकारों, नर्तकों, ढोल तथा अन्य वाद्यों के वादकों को भी मदद की है। उनकी उत्साहपूर्ण, ऊर्जावान और प्रतिभावान प्रस्तुतियां आपको अपनी कुर्सियों से उठकर नाचने के लिए प्रेरित कर देंगी।
साउंड्स आॅफ ईशा
साउंड्स आॅफ ईशा खुद सद्गुरु द्वारा विकसित संगीतकारों की टोली है, जो अपने गहरी इच्छा और आभार के भाव से प्रेरित हैं। उनके गीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों के संगीत के विलय से बने हैं, जो सीमाओं और संस्कृतियों को सहज ही पार कर जाते हैं। इन गीतों का संगीत हमारे मन को शांत करता है और इनकी लय हमें मोहित करती है – लेकिन हमारे अंदर एक शाश्वत मौन स्थापित करना इनके संगीत की असली क्षमता है। एक ऐसा शाश्वत मौन जो हमारे अंतरतम को छूता है। साउंड्स ऑफ ईशा की प्रस्तुतियां एक अनूठे तरीके से बहुत शक्तिशाली और सम्मोहक संगीत का मिश्रण पेश करती हैं, जो अपने श्रोताओं को अस्तित्व की सूक्ष्म अवस्था में ले जाती हैं – और आंतरिक खोज के लिए प्रेरित करती हैं।
सद्गुरु के महाशिवरात्रि संदेश
‘तमिलनाडु में, अमावस्या के दिन को महीने का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। हम यहां के आम लोगों का सम्मान करते हुए उनके प्रेम और श्रद्धा की अभिव्यक्ति के रूप में आदियोगी शिव को पहला अर्पण करने का मौका स्थानीय लोगों को देंगे।’ – सद्गुरु
‘मानवता के इतिहास में पहली बार, आदियोगी शिव ने यह विचार दिया कि प्रकृति के मौलिक नियम हमेशा के लिए बांध कर नहीं रख सकते। अगर कोई कोशिश करना चाहे तो वह सभी सीमाओं से परे जाकर मुक्ति पा सकता है, और मानवता को जड़ता से चेतन विकास की ओर अग्रसर कर सकता है।’ - सद्गुरु