सद्‌गुरुमहाशिवरात्रि भारत के पवित्र त्यौहारों में से एक बहुत बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है। साल की इस सबसे अंधेरी रात को शिव की कृपा का उत्सव मनाया जाता है। शिव को आदि गुरु या प्रथम गुरु माना जाता है, और उन्हीं से योगिक परंपरा की शुरुआत हुई थी। इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती है। इस रात रीढ़ को सीधा रखकर जाग्रत और सजग रहना हमारी शारीरिक और आध्यात्मिक खुशहाली के लिए बहुत ही लाभदायक है। महाशिवरात्रि योगिक मार्ग पर चलने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन न सिर्फ उन्हें प्रकृति से कुदरती सहायता मिलती है, बल्कि यह साथ मिलकर साधना करने का एक मौका भी है। यह गृहस्थ जीवन बिताने वाले लोगों के लिए भी एक मौका होता है कि वे अपनी तृप्ति और खुशहाली के लिए सांसारिक गतिविधियों से थोड़ा अवकाश लेकर योगिक प्रक्रियाओं का लाभ उठाएं। सभी भारतीय त्यौहारों की तरह महाशिवरात्रि का उत्सव भी संगीत, नृत्य और उल्लासमय रंगों से भरपूर होता है। यह सिर्फ रात भर चलने वाला एक उत्सव नहीं है, महाशिवरात्रि शिव की कृपा में सराबोर होने का एक अवसर और परे का अनुभव करने की एक संभावना है।

महाशिवरात्रि से कैसे लाभ उठाएं?

  • आज ग्रहों की दशा कुछ ऐसी होती है कि मानव शरीर में ऊर्जा सहज ही ऊपर की ओर चढ़ती है।
  • आज के लिए नुस्खा यह है कि आप समानांतर या क्षैतिज अवस्थाओं में न लेटें।
  • हमेशा मेरूदण्ड या रीढ़ सीधी रखें। शरीर में हो रहे ऊर्जा के इस उमाड़ से भरपूर लाभ उठाएं।
  • यह एक अनूठा अवसर है, जहां जीवन में एक  नई दृष्टि खुलने की संभावना पैदा होती है, जीवन में एक स्‍पष्‍टता आएगी।
 

मुख्‍य आकर्षण

  • शम्भो और ॐ नमः शिवाय मन्त्रों के साथ शक्तिशाली ध्यान प्रक्रियाएं
  • सद्‌गुरु के साथ सत्‍संग
  • मशहूर कलाकारों की प्रस्‍तुतियां
 

संगीत और नृत्‍य

  • अगम - आधुनिक कर्नाटक संगीत

अगम, एक आधुनिक कर्नाटक-रॉक मिश्रण है, जो कर्नाटक संगीत के मधुर उतार-चढ़ावों और गहन लय का, पश्चिमी शैली के सुंदर रंगों के साथ मेल है। भारत सरकार द्वारा प्रकाशित आधुनिक भारतीय संगीत पर डाक्यूमेंट्री में अगम को भी स्थान मिला है। इसके अलावा अपनी अनूठी रचनाओं के लिए इसे कई सारी सराहनाएं मिली हैं।

  • मुख्तियार अली -  लोक-संगीत/सूफी गायक

मुख्तियार अली राजस्थान के बीकानेर जिले के लोक गायक हैं। उनका जन्म भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर पुगल नाम के छोटे से गाँव में हुआ था। वे मिरासी नाम के अर्द्ध-बंजारा समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं। मिरासी समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से, सुफिआना कलाम की मौखिक परंपरा को, देश-भर में लोगों तक पहुंचाने वाले रहे हैं।

‘कुंभ मेले के बाद सबसे बड़ा संगम’ – हार्पर्स बाजार पत्रिका

‘हर बार मैं लौट कर यहां आता हूं, मुझे यह देखकर हैरत होती है कि इतनी भीड़ को कैसे संभाला जाता है। यह बहुत बड़ी भीड़ होती है और हर साल और बड़ी होती जा रही है। मगर यहां आना बहुत रोमांचक होता है। मुझे लगता है कि इस रात यहां के अलावा कहीं और नहीं हुआ जा सकता’ – शेखर कपूर, फिल्मकार

महाशिवरात्रि 2019 का शानदार उत्सव। मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा। मुझे खुशी है कि मैं यहां आया। यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जिसे बहुत प्रोफेशनल तरीके से चलाया जा रहा है। आप यहां आकर सराबोर हो जाते हैं। मैं हर उस इंसान को यहां आने का सुझाव दूंगा जो एक असली आध्यात्मिक अनुभव चाहता है’ – प्रसून जोशी – गीतकार और पटकथा लेखक 

पिछले सालों की झलकियां …

 

महाशिवरात्रि से एक दिन पहले से ही आश्रम सजाया गया

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फूलों के हारों की तैयारी के बाद ध्यानलिंग को इन हारों से सजाया गया

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इन तैयारियों के साथ ही ईशा रसोई घर में अन्नदान की तैयारियां भी शुरू हो गयीं

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महाशिवरात्रि शुरू हुई ध्यानालिंग में पंच भूत आराधना के साथ

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महाशिवरात्रि समारोह स्थल पर ब्रह्मचारियों का निर्वाण षटकं मंत्रोच्चार

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निर्वाण षटकं मंत्रोच्चार के बाद सद्‌गुरु के साथ सभी ने योग योग योगीश्वराय का उच्चारण किया

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दो अंग्रेज़ी और एक हिंदी और साथ ही तमिल और मलयालम पुस्तकों का विमोचन हुआ। अंग्रेज़ी में ईशा की पहली रेसिपी पुस्तक - अ टेस्ट ऑफ़ वेल-बीइंग और अन्य पुस्तक पोएटिक फ्लिंग का लोकार्पण हुआ।

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हिंदी पुस्तक - सुखी जीवन के तीन सत्य का लोकार्पण

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आधुनिक मिश्रित कर्नाटक संगीत बैंड 'अगम' के प्रस्तुति पर झूमते भक्तगण

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राजस्थान के बीकानेर से आए, संगीतकार कुतले खां, साउंड्स ऑफ़ ईशा के साथ संगीत प्रस्तुत करते हुए

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महाशिवरात्रि महोत्सव स्थल ऊँचाई से लिए गये दृश्य

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आधी रात में सद्‌गुरु द्वारा कराई गयी - शम्भो और ॐ कार ध्यान - प्रक्रिया में भक्तगण

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ईशा संस्कृति द्वारा योग आसनों का प्रदर्शन

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सद्‌गुरु सभी के साथ झूमते-नाचते हुए

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ईशा संस्कृति द्वारा कलरी का प्रदर्शन (कलरीपयट्टू एक प्राचीन विद्या है जो कराटे का स्रोत है)

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इस महोत्सव का आखिरी प्रदर्शन कुतले खां और साउंड्स ऑफ़ ईशा का संयुक्त प्रदर्शन था, इनके राजस्थानी गीतों ने सभी को खूब रोमांचित किया

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महोत्सव के अंत में सद्‌गुरु ने सभी को ये संदेश दिया - "आदियोगी शिव के प्रति पूरी तरह से कृतज्ञ होने का बस एक ही तरीका है - ये सुनिश्चित करना कि हर मनुष्य - चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता हो - अपने भीतर आध्यात्मिक संभावना को जागृत करे।"

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