सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की फिटनेस की जरूरतों को देखते हुए सरकारी हस्तक्षेप के बाद अंगमर्दन को उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा बनाया गया। आइए जानते हैं सीखने और सिखाने वालों के अनुभव...

फिट होने और उस फिटनेस को कायम रखने का आमतौर पर सबसे अच्छा तरीका क्या समझा जाता है? दौड़ना, तैरना, पहाड़ पर चढ़ना? भारत के अर्धसैनिक बलों को अपने प्रशिक्षण में इन सभी कठिन अभ्यासों से गुजरना पड़ता है। मगर हाल में हुए एक योग कार्यक्रम के बाद, उनमें से बहुतों ने महसूस किया कि 30 मिनट का नियमित योगाभ्यास अगर इन सब से बेहतर नहीं तो कम से कम उतना ही प्रभावशाली जरूर है। एक अधिकारी का कहना है, ‘अपने प्रशिक्षण के दौरान 21 किलोमीटर का मैराथन दौडने के बाद मुझे अपने शरीर में जो असर महसूस होता था, वही असर योग से महसूस हुआ। मैं इस बात पर हैरान था कि एक जगह से हिले-डुले बिना बस एक योगा मैट पर ऐसा करना कैसे संभव है।’

यह अभ्यास, जिसे अंगमर्दन कहा जाता है, प्राचीन काल की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है।

यह अभ्यास, जिसे अंगमर्दन कहा जाता है, प्राचीन काल की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है। मगर विडंबना यह है कि आज के अधिकांश योग स्डुडियो में शायद ही कोई इसके बारे में जानता है। अच्छी बात यह है कि पारंपरिक हठ योग सिखाने वाले कुछ संस्थानों ने अब भी इस प्रणाली को जीवित रखा हुआ है। यह प्रक्रिया ईशा योग केंद्र में ईशा के हठ योग शिक्षकों के 21 सप्ताह के शिक्षक प्रशिक्षण का एक हीस्सा है। हाल में उन्होंने भारत के 5000 अर्धसैनिक बलों को यह अभ्यास सिखाया।

जब सरकार ने की पहल

2015 में पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बाद, भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के दैनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में योग को शामिल किया जाना अनिवार्य बना दिया। इस पहल के अंतर्गत, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने देश भर में अपनी तीस यूनिटों और प्रशिक्षण केंद्रों में अंगमर्दन अभ्यासों को सिखाने के लिए ईशा फाउंडेशन को आमंत्रित किया। अब तक, ये कार्यक्रम कोयंबटूर और चेन्नई के सीआरपीएफ केंद्रों और मुंडली, भिलाई, हैदराबाद, नई दिल्ली, मनाली, मंगलौर और चेन्नई के सीआईएसएफ केंद्रों में संचालित किए गए हैं। ये कार्यक्रम नि:शुल्क सिखाए जाते हैं और हर कार्यक्रम को पांच दिनों तक दो घंटा प्रतिदिन सिखाया जाता है।

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अंगमर्दन

योग वैसे किसी तरह के फिटनेस के लिए या कोई शारीरिक कसरत नहीं है। यह तो हमारे अंदर सृष्टि के स्रोत को अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति पाने में मदद करती है। अंगमर्दन एक ऐसी प्रणाली है जिसकी जड़ें योग से जुड़ी हैं, जो शरीर को ऊर्जावान बनाने और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को चरम पर पहुंचने का अवसर देती हैं। ‘अंगमर्दन’ का मतलब है, अपने अंगों पर पूरा अधिकार करना। अपने नाम के अनुरूप यह अभ्यास मांसपेशियों, रक्त संचार, अस्थि पंजर, तंत्रिका तंत्र और मूलभूत ऊर्जा प्रणाली सहित सभी स्तरों पर शरीर में नए प्राण का संचार कर देता है।

ईशा अंगमर्दन सद्‌गुरु ने खुद तैयार किया है, जिससे इसका आकर्षण और प्रयोग सार्वभौमिक होगा।

ईशा अंगमर्दन सद्‌गुरु ने खुद तैयार किया है, जिससे इसका आकर्षण और प्रयोग सार्वभौमिक होगा। इसके लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं है। इसमें सिर्फ शरीर की मदद से फर्श पर किए जाने वाले अभ्यास हैं, जिनका अभ्यास कहीं पर भी, यहां तक कि सफर के दौरान भी, किया जा सकता है।

अंगमर्दन का नियमित अभ्यास रीढ़, कंकाल संरचना और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, शारीरिक बल, फिटनेस और दृढ़ता बढ़ाता है। यह उम्र के असर को कम कर देता है, जिससे हल्कापन और आजादी महसूस होती है।

लोकप्रिय सत्र

हठ योग शिक्षक श्रीकांत रेड्डी अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं, ‘कार्यक्रम के प्रतिभागी सिखाई जा रही चीजों को तेजी से ग्रहण कर रहे थे। इसने शिक्षण को बहुत आनंददायक अनुभव बना दिया था। सुरक्षा बलों से जुड़े होने के कारण वे काफी मजबूत हैं और उनकी दिनचर्या में कड़ी मेहनत शामिल है। अंगमर्दन बहुत अच्छा चयन था, जो उनके शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता है और उनकी ताकत को कायम रखने में मदद करता है। आगे के दिनों में उन्होंने अधिक उन्नत और चुनौतीपूर्ण अभ्यास सीखे, जिसका उन्होंने खूब आनंद लिया।’

हठ योग की एक दूसरी शिक्षिका दीपा गोपीनाथ का कार्यक्रमों के संचालन के बारे में कहना था, ‘वहां जा कर हमारे अनुभवों की थाती और बड़ी हो गई। मुझे एक सिपाही के जीवन के कुछ पहलुओं को देखने का मौका मिला। उनकी ट्रेनिंग और उनका दिनचर्या देखने को मिला। वे पहले दिन जिस तरह थे और अगले कुछ दिनों में जिस स्थिति में थे, उसमें काफी अंतर था। कुछ लोग हमारे पास ‘योग पादि’ संगीत के बारे में पूछने आए क्योंकि वह उन्हें काफी आराम और शांति प्रदान करने वाला लगा। कई लोगों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम के अंत तक आते-आते उनकी पीठ दर्द में काफी सुधार हो गया था।’

प्रतिभागी एसआई देवेंद्रन ने महसूस किया कि यह अभ्यास बिना किसी उपकरण या बड़ी जगह के, अच्छी-खासी फिटनेस पाने का एक सरल तरीका है। उन्होंने अपने शरीर में अधिक लोच, मन में अधिक शांति और तनावमुक्त दिन महसूस किया।

सीआईएसएफ, मंगलौर में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर कार्यरत जय प्रकाश का कहना था, ‘अंगमर्दन अभ्यास हमें बहुत अच्छी तरह सिखाया गया। शिक्षकों ने बहुत साफ-साफ सभी मुद्राएं सिखाईं। हमने अच्छा अभ्यास भी किया और अब हम खुद उसे कर सकते हैं। शिक्षक बहुत सहयोगपूर्ण, बातचीत करने वाले और शिक्षण में निपुण थे, इसलिए इस कार्यक्रम में भाग लेना बहुत लाभदायक रहा।’

प्रतिभागी एसआई देवेंद्रन ने महसूस किया कि यह अभ्यास बिना किसी उपकरण या बड़ी जगह के, अच्छी-खासी फिटनेस पाने का एक सरल तरीका है। उन्होंने अपने शरीर में अधिक लोच, मन में अधिक शांति और तनावमुक्त दिन महसूस किया। सीआईएसएफ सीपीसीएल, मनाली के इंस्पेक्टर मुकेश कुमार कहते हैं, ‘मेरे ख्याल से इस कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह सेहत के सभी पहलुओं को सबसे बेहतर बना देता है। मैंने महसूस किया कि अंगमर्दन से न सिर्फ मेरे शरीर का लचीलापन बढ़ा बल्कि मेरे आंतरिक विकास में भी मदद मिली। पिछले कुछ दिनों से मेरी पीठ दर्द में काफी आराम है और मैं अपनी रोजमर्रा की ड्यूटी करते हुए ऊर्जावान महसूस करता हूं। मुझे लगता है कि यह कार्यक्रम शरीर को आराम पहुंचाने के साथ उसकी मजबूती बढ़ाता है।’

देश की सीमाओं और आंतरिक क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले सिपाहियों के लिए हठ योग कक्षाएं संचालित करना ईशा के लिए बहुत सौभाग्य की बात है। पारंपरिक हठ योग को लाखों लोगों के लिए उपलब्ध बनाने के सद्गुरु के सपने को पूरा करने की दिशा में यह एक और कदम है।

सीआईएसएफ के चेन्नई पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (सीपीसीएल) में अंगमर्दन सिखाने वाली अवंती पेठे ने साझा किया, ‘सुरक्षा बलों को कुछ सिखाने का यह अवसर बहुत सुखद था। चाहे किसी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान को सुरक्षित करने का मामला हो, प्राकृतिक आपदा का समय, चुनाव ड्यूटी या कोई आपातकाल, सीआईएसएफ हमेशा जरूरत के समय तैयार रहता है और देश को खुद से ऊपर रखता है।’

संपादक की टिप्पणी: दुनिया भर में ईशा के हठ योग शिक्षक अंगमर्दन सिखाते हैं। अपने नजदीक किसी शिक्षक का पता करें। यह प्रक्रिया 21 दिनों के ईशा हठ योग कार्यक्रम का हिस्सा भी है, जो 26 मई से 15 जून के बीच, ईशा केंद्र कोयंबटूर में आयोजित किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए  www.ishahatayoga.com और  info@ishahatayoga.com पर जाएं।