ईशा इनसाइट - जानें अनुभवी बिज़नेस लीडर्स से कुछ टिप्स
इनसाइट, ईशा फाउंडेशन के ईशा एजुकेशन पहल का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में अनुभवी बिज़नेस लीडर्स और सद्गुरु की उपस्थिति और संवादों से उद्योगपति ऐसे व्यावहारिक तरीके सीखते हैं, जो बाहरी हालातों के साथ-साथ अंदरूनी विकास के प्रबंधन की उनकी क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
इनसाइट, ईशा फाउंडेशन के ईशा एजुकेशन पहल का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में अनुभवी बिज़नेस लीडर्स और सद्गुरु की उपस्थिति और संवादों से उद्योगपति ऐसे व्यावहारिक तरीके सीखते हैं, जो बाहरी हालातों के साथ-साथ अंदरूनी विकास के प्रबंधन की उनकी क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
इनसाइट लीडरशिप प्रोग्राम में रॉनी स्क्रूवाला और नारायण मूर्ति और श्री दीपक जैन के संवाद:
पहला दिन – डॉ. दीपक जैन, रॉनी स्क्रूवाला, सद्गुरु
26 नवंबर को इनसाइट के पहले दिन की शुरुआत करते हुए, डॉ.दीपक सी.जैन ने आज के जानकार और आसानी से संतुष्ट न होने वाले उपभोक्ता की बात करते हुए बताया कि स्थानीय और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि नए प्रयोग करते हुए और उपभोक्ता के लिए उत्पाद को बेहतर बनाते हुए कारोबार में कामयाबी पाई जा सकती है।
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मीडिया और मनोरंजन महारथी रॉनी स्क्रूवाला ने लुई मिरांडा के साथ एक प्रश्नोत्तर सत्र में, अपने साथ काम करने के लिए सबसे बेहतर लोगों को साथ लाने की कला पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ सबसे प्रतिभाशाली लोगों को रखना जरूरी नहीं बल्कि ऐसे लोगों को रखने की जरूरत है जो उनके कारपोरेट कल्चर के लिए सबसे सटीक हों। बाद में, सद्गुरु के साथ बातचीत में, श्री स्क्रूवाला ने बताया कि किस तरह उनकी नाकामयाबियों ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरणा दी और उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने कहा कि अगर कोई संगठन कहीं पर नाकामयाब नहीं हो रहा है, तो वह पर्याप्त प्रयोग नहीं कर रहा है। श्री स्क्रूवाला बोले, ‘असफलता कभी पूर्णविराम नहीं होती। वह सिर्फ अल्पविराम होती है।’
पूरे इनसाइट प्रोग्राम के दौरान सद्गुरु द्वारा सिखाई गईं ‘आंतरिक प्रबंधन’ की तकनीकों से ‘बाहरी प्रबंधन’ के पहलुओं को संतुलित किया जाता है। सद्गुरु ने प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे बिना किसी डर के, चेतनता और पूरी जागरूकता के साथ जीवन जिएं। असफलता के डर से मुक्त होने के बाद ही कोई व्यक्ति पूरी तेजी से चल पाता है और अपनी पूर्ण क्षमता को दिखा पाता है। उन्होंने आत्म प्रबंधन में योग और भोजन की भूमिका के बारे में भी बात की। प्रतिभागियों को सरल योग तकनीकें सिखाई गई हैं, जो शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा में सेहत, सक्रियता और पूर्णता लाती हैं।
शाम को प्रसिद्ध कार्डिएक सर्जन, डॉ देवी शेट्टी ने भी टेलीकॉम के जरिये नारायण हृदयालय के सफर के बारे में बताया। यह मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों की चेन है, जो उन्होंने देश भर में स्थापित की है।
दूसरा दिन – नारायण मूर्ति
इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति दूसरे दिन के प्रमुख विशेषज्ञ थे। श्री मूर्ति ने भारत में उद्यमिता (आन्ट्रप्रनर्शिप) के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इनसाइट कार्यक्रम में भाग लेने वाले 200 उद्योगपतियों के साथ भाग लेना उनके लिए एक बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के लिए कारोबार खड़ा करना और रोजगार पैदा करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे उपयोगी रोजगार पा सकें और अपना जीवन यापन कर सकें। इसके बाद वे आध्यात्मिक प्रक्रिया के जरिये एक ज्यादा बड़ी संभावना की ओर बढ़ सकते हैं।
श्री मूर्ति ने अपने जीवन के कई अनुभवों को भी साझा किया, जिन्होंने कंपनी चलाने के उनके विचारों को आकार दिया। उनके माता-पिता से लेकर हाई स्कूल के हेडमास्टर और बाद के जीवन के हर अनुभव ने श्री मूर्ति को इस मुकाम तक पहुंचाने में भूमिका निभाई और यह चीज इंफोसिस की संस्कृति में भी झलकती है। मसलन, यह पूछे जाने पर कि वह बड़े स्टॉक विकल्प क्यों देते हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं अमीर बनने के लिए नहीं, बल्कि इस सफर का आनंद लेने के लिए इस कंपनी को विकसित कर रहा हूं।’
इस सत्र के अनुभवों पर अब तक कई प्रतिभागियों ने टिप्पणी की है: श्री बालेश जिंदल ने बताया, ‘यह जीवन और कारोबार के मकसद को जोड़ने में मदद करता है।’ सुमेश अग्रवाल ने कहा, ‘यह अमूल्य ज्ञान था’ जबकि कैनपैक की प्रीति तोडी ने बताया कि यह कार्यक्रम उनके कॉलेज के अनुभव से कितना अलग था: ‘काश, कॉलेज में मुझे इस तरह के विशेषज्ञ मिलते।’
तीसरे दिन पहले दो दिनों के अनुभवों में झांकना, प्रमुख विशेषज्ञों के बीच पैनल डिस्कशन और दीपक जैन द्वारा एक वार्ता शामिल थी।
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